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अजित डोभाल की जासूसी: सिक्किम में भारत के प्रभाव की रक्षा

अजित डोभाल की कहानी एक जासूसी उपन्यास की तरह है, जिसमें उन्होंने सिक्किम में भारत के प्रभाव को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1970 के दशक में, जब सिक्किम संकट में था और रानी होप कूक अमेरिकी प्रभाव का माध्यम बन रही थीं, डोभाल ने स्थिति को संभालने के लिए कदम उठाया। जानें कैसे उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम किया और सिक्किम के भारत में विलय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।
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अजित डोभाल की जासूसी: सिक्किम में भारत के प्रभाव की रक्षा

अजित डोभाल का अद्भुत सफर

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की कहानी किसी जासूसी उपन्यास से कम नहीं है। उनके प्रारंभिक और कम चर्चित मिशनों में से एक हिमालयी राज्य सिक्किम में हुआ था, न कि पाकिस्तान या चीन में। 1970 के दशक की शुरुआत में, सिक्किम एक गंभीर संकट का सामना कर रहा था।


रिपोर्टों के अनुसार, इस संकट का केंद्र अमेरिकी मूल की रानी होप कूक थीं, जिन्हें दिल्ली में 'जासूस रानी' के नाम से जाना जाता था। उनके सीआईए से संबंध होने की अफवाहें थीं। भारत को इस राज्य में अपने प्रभाव के खोने का डर था, जो चीन के खिलाफ एक बफर के रूप में कार्य करता था। एक युवा खुफिया अधिकारी को इस स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी।


सिक्किम का संकट और होप कूक की भूमिका

सिक्किम पर 1642 से चोग्याल वंश का शासन था। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, सिक्किम भारत का संरक्षित राज्य बन गया, जिसमें दिल्ली रक्षा और विदेश मामलों का प्रबंधन करती थी, जबकि चोग्याल आंतरिक मामलों का ध्यान रखते थे। 1965 के बाद, यह व्यवस्था बदलने लगी, जब पाल्डेन थोंडुप नामग्याल चोग्याल बने। थोंडुप ने अमेरिका में पढ़ाई की थी और उन्हें व्यावहारिक माना जाता था। 1963 में, उनकी मुलाकात होप कूक से हुई, जिन्होंने अमेरिकी नागरिकता छोड़कर उनसे शादी की और सिक्किम की रानी बनीं।


वाशिंगटन का प्रभाव और होप कूक

लेखक देवदत्त डी ने अपनी पुस्तक 'अजित डोभाल: ऑन अ मिशन' में लिखा है कि दिल्ली के खुफिया अधिकारियों को संदेह था कि होप कूक वाशिंगटन के प्रभाव का माध्यम बन रही थीं। वह विदेशी पत्रकारों से संपर्क करती थीं और सिक्किम को भारत के दबाव का विरोध करने वाले राष्ट्र के रूप में पेश करती थीं।


दिल्ली की चिंता और डोभाल की एंट्री

1971 के बांग्लादेश युद्ध के दौरान, जब अमेरिका ने पाकिस्तान का समर्थन किया, होप कूक की उपस्थिति विवादास्पद हो गई। दिल्ली के लिए यह केवल महल की गपशप नहीं थी। चीन की सीमा से सटे एक बफर राज्य में अमेरिकी प्रभाव बढ़ना एक गंभीर चिंता का विषय था। इसी समय, युवा खुफिया अधिकारी अजित डोभाल ने स्थिति का आकलन करने और रानी के प्रभाव को कम करने का कार्य संभाला।


डोभाल की रणनीति और सिक्किम का मूड

अजित डोभाल ने स्थानीय लोगों के साथ घुलमिलकर काम किया। उन्होंने राजनीतिक नेताओं से बातचीत की, जनता के गुस्से को समझा और दिल्ली के संपर्कों को मजबूत किया। उनके खुफिया रिपोर्ट्स से पता चला कि सिक्किम की बहुसंख्यक नेपाली आबादी चोग्याल और उनकी अमेरिकी रानी से नाराज थी।


सिक्किम का भारत में विलय

1973 तक सिक्किम में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों ने रियासत के खिलाफ और लोकतंत्र की मांग की। बढ़ते दबाव के बीच, होप कूक न्यूयॉर्क लौट गईं और वापस नहीं आईं। 1975 में, सिक्किम विधानसभा ने भारी बहुमत से रियासत को समाप्त करने और भारत के साथ विलय के पक्ष में वोट दिया। जनमत संग्रह में 97 प्रतिशत से अधिक लोगों ने भारत के साथ विलय का समर्थन किया, जिसके बाद सिक्किम भारत का 22वां राज्य बन गया।