अजित पवार की स्वतंत्र राजनीतिक शैली और एनसीपी की रणनीति
अजित पवार की राजनीतिक पहचान
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और एनसीपी के नेता अजित पवार स्वतंत्र रूप से राजनीति करते हैं। वे भाजपा के साथ सहयोग में हैं, लेकिन एनडीए के अन्य सहयोगियों की तरह भाजपा की नीतियों का अनुसरण नहीं करते। उनकी राजनीतिक शैली कुछ हद तक नीतीश कुमार के समान है। विधानसभा चुनाव में उन्होंने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने की नीति का पालन नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने नवाब मलिक को उम्मीदवार बनाया, जिनके बारे में भाजपा के नेता दाऊद इब्राहिम के करीबी होने का आरोप लगाते थे। अजित पवार ने सार्वजनिक रूप से यह कहा है कि उनके कार्यकाल में मुसलमानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। इसके साथ ही, वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कार्यक्रमों से भी दूरी बनाए रखते हैं।
हेडगेवार स्मृति मंदिर में अनुपस्थिति
हाल ही में, महाराष्ट्र की महायुति, जिसमें भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के विधायक शामिल हैं, ने नागपुर में हेडगेवार स्मृति मंदिर जाने का कार्यक्रम आयोजित किया। यह एक वार्षिक कार्यक्रम है, जिसमें विधानसभा सत्र के बाद भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के विधायक आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि देते हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ उनकी पार्टियों के सभी विधायक वहां गए, लेकिन अजित पवार और उनकी पार्टी के विधायक इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब अजित पवार और उनके विधायक हेडगेवार स्मृति मंदिर में श्रद्धांजलि देने नहीं गए। भाजपा इस मुद्दे को उठाने से बचती है, जबकि एनसीपी के नेताओं का कहना है कि भाजपा और शिवसेना की राजनीति एक जैसी है, जबकि एनसीपी की राजनीति अलग है। मुस्लिम और मराठा समुदायों को साथ लिए बिना एनसीपी सफल नहीं हो सकती, इसलिए अजित पवार को अपनी राजनीतिक दिशा तय करने की स्वतंत्रता है।
