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अब्बास अंसारी को मिली दो साल की सजा: क्या होगी उनकी विधायक सदस्यता?

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के विधायक अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में दो साल की सजा सुनाई गई है। उनके चाचा मंसूर अंसारी को भी सजा मिली है। अदालत ने उन्हें मुख्य आरोपी माना है, लेकिन उनकी विधायक सदस्यता पर कोई खतरा नहीं है। अब्बास ने फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है, यह कहते हुए कि उन्हें न्याय नहीं मिला। जानें इस मामले की पूरी कहानी और आगे की संभावनाएं।
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अब्बास अंसारी को मिली दो साल की सजा: क्या होगी उनकी विधायक सदस्यता?

अब्बास अंसारी को मिली सजा

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी, जो माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे हैं, को हेट स्पीच के मामले में दोषी ठहराया गया है। मऊ की सीजेएम कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई है, जबकि उनके चाचा मंसूर अंसारी को छह महीने की सजा दी गई है। इसके साथ ही, दोनों पर 2-2 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।


अदालत का निर्णय

सीजेएम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को मुख्य आरोपी और मंसूर अंसारी को षड्यंत्र में भागीदार माना है। अदालत ने यह पाया कि अब्बास ने चुनावी माहौल में भड़काऊ भाषण देकर न केवल चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन किया, बल्कि सरकारी कार्यों में बाधा डालने और समुदायों के बीच तनाव फैलाने का प्रयास भी किया। मंसूर अंसारी पर भी इस षड्यंत्र में सहयोग का आरोप सिद्ध हुआ है।


विधायक सदस्यता पर सवाल

सजा सुनाए जाने के बाद एक बड़ा सवाल यह था कि क्या अब्बास अंसारी की विधायक सदस्यता समाप्त होगी। लेकिन चूंकि उन्हें केवल दो साल की सजा दी गई है, इसलिए उनकी विधानसभा सदस्यता पर कोई खतरा नहीं है। भारतीय कानून के अनुसार, किसी विधायक की सदस्यता तब तक रद्द नहीं की जा सकती जब तक उन्हें दो साल से अधिक की सजा न मिले।


अब्बास का हाई कोर्ट में जाने का इरादा

फैसले के बाद, अब्बास अंसारी ने मऊ की सीजेएम कोर्ट के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि उन्हें न्याय नहीं मिला और अदालत में उनके पक्ष को ठीक से नहीं सुना गया। अब्बास का दावा है कि यह सब राजनीतिक साजिश का परिणाम है।


मामले का सारांश

2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान, अब्बास अंसारी ने एक जनसभा में भड़काऊ भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार बनने के बाद "अधिकारियों से निपट लेंगे"। इस बयान के बाद उनके खिलाफ आपराधिक धमकी, चुनावी नियमों का उल्लंघन, सरकारी कार्य में बाधा डालने और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने के आरोप में केस दर्ज किया गया था। अब यह देखना होगा कि हाई कोर्ट में उन्हें राहत मिलती है या नहीं। वर्तमान में, दो साल की सजा के साथ, वे राजनीति और कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।