अब्राहम समझौते का प्रभाव: इजराइल और ईरान के बीच बढ़ती टेंशन

अब्राहम समझौते का परिचय
अब्राहम समझौता क्या है: फिलहाल मध्य पूर्व में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं, खासकर सीजफायर के बाद। इस संदर्भ में, अब्राहम समझौते के तहत इजराइल की स्थिति मजबूत होती दिखाई दे रही है। हाल ही में, अमेरिका के मध्य पूर्व के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा कि व्हाइट हाउस अब्राहम समझौते में शामिल देशों के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएँ कर सकता है। यह समझौता 2020 में हुआ था, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात, सूडान, बहरीन और मोरक्को ने इजराइल के साथ अपने संबंधों को सामान्य करने का निर्णय लिया था।
इजराइल-ईरान के बीच तनाव
इजराइल और ईरान के बीच युद्ध की स्थिति में, अब्राहम समझौते को फिर से सक्रिय करने की कोशिशें की जा रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्लामिक देशों का उद्देश्य इजराइल में स्थिरता लाना है, जिसमें अमेरिका की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। यदि अब्राहम समझौते का विस्तार होता है, तो इसका सबसे बड़ा राजनीतिक नुकसान मुस्लिम देशों जैसे तुर्की, पाकिस्तान और ईरान को होगा, जो इस्लामिक एकता के पक्षधर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गए हैं।
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