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अमित शाह का स्पष्ट संदेश: भाजपा अब अकेले चुनाव लड़ेगी

अमित शाह ने महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी पार्टियों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि भाजपा अब अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा को किसी बैसाखी की आवश्यकता नहीं है और सहयोगी पार्टियों को अपने भविष्य के बारे में सोचने की जरूरत है। यह बयान स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी के संदर्भ में आया है। भाजपा ने पहले शिव सेना की मदद से चुनाव लड़ा, लेकिन अब वह अपने दम पर आगे बढ़ने की योजना बना रही है। जानें इस नई रणनीति के पीछे के कारण और भाजपा की स्थिति के बारे में।
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अमित शाह का स्पष्ट संदेश: भाजपा अब अकेले चुनाव लड़ेगी

भाजपा की नई रणनीति

अमित शाह ने महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी पार्टियों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है, जो कि देशभर की एनडीए में शामिल पार्टियों के लिए भी है। सोमवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भाजपा को अब महाराष्ट्र में किसी बैसाखी की आवश्यकता नहीं है। यह बयान उन्होंने स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी के संदर्भ में दिया। शाह ने यह भी संकेत दिया कि भाजपा अपने दम पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, जिससे सहयोगी पार्टियों जैसे शिव सेना और एनसीपी को अपने भविष्य के बारे में सोचने की आवश्यकता है।


भाजपा पहले शिव सेना की मदद से आगे बढ़ती थी, लेकिन अब उसने उस समर्थन को तोड़ दिया है। वर्तमान में दो शिव सेनाएं हैं, जिनमें से एकनाथ शिंदे की शिव सेना को चुनाव आयोग ने असली माना है और वह भाजपा के साथ है। पिछला विधानसभा चुनाव शिंदे के नेतृत्व में लड़ा गया था, जिसके बाद उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया और देवेंद्र फड़नवीस मुख्यमंत्री बने। चुनाव परिणामों के कारण भाजपा को किसी अन्य पार्टी की आवश्यकता नहीं रह गई। महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत के लिए 145 सीटों की आवश्यकता होती है, और भाजपा ने अकेले 132 सीटें जीतीं।


अमित शाह ने एक साल बाद अपनी सहयोगी पार्टियों को यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा को अब शिव सेना या एनसीपी की मदद की आवश्यकता नहीं है। इससे पहले भाजपा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी यह संदेश दिया था कि अब उसे संघ की आवश्यकता नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कहा था कि भाजपा अब इतनी मजबूत हो गई है कि उसे संघ की मदद की आवश्यकता नहीं है।


इसका अर्थ यह है कि भाजपा इस कहावत को मानती है कि जब इंसान ठीक हो जाता है, तो वह सबसे पहले बैसाखी को एक बोझ मानकर फेंक देता है। महाराष्ट्र का यह संदेश अन्य राज्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है। हालांकि, सहयोगी पार्टियों को यह बात समझ में आ रही है कि उनका स्थान केवल उपयोगिता के आधार पर है। जैसे आज केंद्र में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की पूछ है, लेकिन बिहार में भाजपा नीतीश कुमार की मदद के बिना अपने पैरों पर चलने के लिए संघर्ष कर रही है।