अमेरिका-ईरान तनाव: ट्रंप का पाकिस्तान को एफ-35 का ऑफर
22 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिससे मीडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान को एफ-35 फाइटर जेट्स देने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी हैं। पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति में सेना का बढ़ता प्रभाव और प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। जानें इस जटिल राजनीतिक समीकरण के बारे में और क्या हो सकता है आगे।
| Jun 24, 2025, 14:38 IST
मीडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव
22 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला कर मीडिल ईस्ट में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को एफ-35 फाइटर जेट्स देने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, इसके साथ कुछ ऐसी शर्तें भी हैं जिन्हें पूरा करना पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो सकता है। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ट्रंप ने मुनीर को फंसाया है या इसके विपरीत। लेकिन अमेरिका की इच्छा है कि पाकिस्तान चीन और रूस से दूरी बनाए। ट्रंप का पाकिस्तान को एफ-35 का प्रस्ताव और ईरान के खिलाफ गठबंधन बनाने की कोशिश एक नए रणनीतिक समीकरण की ओर इशारा करती है।
पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिति
पीडीएम सरकार का पतन, सेना का बढ़ता प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भले ही पाकिस्तान की तारीफ कर रहे हों, लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि किसी देश के आर्मी चीफ का दूसरे देश के राष्ट्रपति से मिलना एक महत्वपूर्ण संकेत है। ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान की चुनी हुई सरकार को फील्ड मार्शल मुल्ला मुनीर ने नजरबंद कर रखा है। प्रमुख राजनेताओं जैसे ख्वाजा आसिफ और शहबाज शरीफ की सार्वजनिक उपस्थिति भी कम हो गई है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी नेताओं का कहना है कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से जुड़े मुख्य निवेश को नुकसान पहुंचा है।
ट्रंप और मुनीर की दोस्ती
अमेरिका के साथ संबंधों की नई दिशा
ईरान पर हमले से दो दिन पहले, फील्ड मार्शल मुल्ला मुनीर और शहबाज सरकार ने ट्रंप और अमेरिका की प्रशंसा की और ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग की। यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ है। लेकिन मुल्ला मुनीर का यह कदम उल्टा पड़ गया। अमेरिका ने इस मुलाकात के बाद ईरान पर बड़ा हमला किया, जिससे पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अमेरिका के बी2 बॉम्बर्स ने ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करने के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस का उपयोग किया।
मुनीर के कदम पर विरोध
राजनीतिक जवाबदेही की मांग
शिया-बहुल क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन के सीनेटर अल्लामा राजा नासिर अब्बास जाफरी ने मुनीर के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है। इसी तरह, पीटीएम के एक पश्तून अली वज़ीर ने सेना की अतिशयता और मुनीर द्वारा सेना के राजनीतिकरण की निंदा की है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पीटीआई नेतृत्व ने भी मुनीर पर तटस्थता छोड़ने का आरोप लगाया है। पत्रकार हामिद मीर ने ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग की आलोचना की है, जबकि उन्होंने ईरान पर हमले को पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी बताया है।
