अमेरिका का ईरान पर हमला: ट्रंप के खिलाफ बढ़ता विरोध
अमेरिका ने ईरान पर हमला करते हुए उसकी न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया है, जिसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ विरोध बढ़ने लगा है। विपक्षी दलों ने ट्रंप पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अमेरिका को युद्ध में धकेल दिया है। वॉर पावर एक्ट के तहत, ट्रंप को कांग्रेस को सूचित करना होगा। जानें इस स्थिति का क्या प्रभाव हो सकता है और विपक्ष की क्या मांगें हैं।
Jun 23, 2025, 17:04 IST
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अमेरिका का ईरान पर हमला
अमेरिका ने ईरान पर हमला करते हुए उसकी तीन न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया है। इस कार्रवाई के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं। अमेरिका में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। वॉर पावर एक्ट के तहत कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार, ट्रंप के खिलाफ 47 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने ट्रंप से स्पष्टीकरण मांगा है। विपक्षी दलों ने ट्रंप को अमेरिका को युद्ध में धकेलने का दोषी ठहराया है। इसके साथ ही, सांसदों ने अमेरिकी सैनिकों को खतरे में डालने का आरोप भी लगाया है।
विपक्ष के आरोप
विपक्ष ने ट्रंप पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि किसी भी राष्ट्रपति को एकतरफा तरीके से अमेरिका को युद्ध जैसी स्थिति में नहीं डालना चाहिए। ट्रंप का यह निर्णय बेहद खतरनाक है, जिससे अमेरिका खुद ईरान-इज़राइल युद्ध में शामिल हो गया है। यह डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। हमें ईरान के खिलाफ युद्ध के खिलाफ खड़ा होना होगा। मैं आज रात एक पत्र भेज रहा हूं और सभी सांसदों से अनुरोध कर रहा हूं कि वे मेरे इस विधेयक का समर्थन करें।
वॉर पावर एक्ट क्या है?
क्या है वॉर पावर एक्ट
1973 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के वीटो के बावजूद लागू किया गया युद्ध शक्ति संकल्प (WPR) राष्ट्रपति को कांग्रेस की मंजूरी के बिना सैन्य संघर्षों में अमेरिकी सेना को शामिल करने की क्षमता को सीमित करने के लिए बनाया गया था। यह वियतनाम युद्ध के दौरान कंबोडिया पर निक्सन की गुप्त बमबारी के बाद सार्वजनिक आक्रोश के परिणामस्वरूप बनाया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में नागरिक हताहत हुए थे और व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे।
वॉर पावर एक्ट के अनुसार राष्ट्रपति की जिम्मेदारियां
वॉर पावर एक्ट के अनुसार राष्ट्रपति को:
अमेरिकी सेना को “शत्रुता” या ऐसी स्थितियों में तैनात करने के 48 घंटों के भीतर कांग्रेस को सूचित करना होगा, जहाँ शत्रुता आसन्न हो।
60 दिनों के भीतर (या आपात स्थितियों में 90 दिनों के भीतर) सैन्य कार्रवाइयों को समाप्त करना होगा, जब तक कि कांग्रेस युद्ध की घोषणा या विशिष्ट प्राधिकरण के माध्यम से निरंतर संलग्नता को मंजूरी न दे।