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अमेरिका की उत्तर कोरिया के प्रति निरंतर नीति: परमाणु निरस्तीकरण पर जोर

अमेरिका ने उत्तर कोरिया के पूर्ण परमाणु निरस्तीकरण पर अपनी नीति को फिर से स्पष्ट किया है। किम जोंग उन ने हाल ही में संकेत दिया है कि यदि अमेरिका अपना रुख बदलता है, तो वह बातचीत के लिए तैयार हैं। ट्रंप और किम के बीच संभावित वार्ता की अटकलें तेज हो गई हैं, खासकर आगामी एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के संदर्भ में। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो सकता है।
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अमेरिका की उत्तर कोरिया के प्रति निरंतर नीति: परमाणु निरस्तीकरण पर जोर

अमेरिका की स्पष्ट नीति

समाचार :- अमेरिका ने एक बार फिर से यह स्पष्ट किया है कि उसकी रणनीति उत्तर कोरिया के पूर्ण परमाणु निरस्तीकरण पर केंद्रित है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि हम उत्तर कोरिया के पूर्ण परमाणु निरस्तीकरण की नीति की पुष्टि करते हैं। यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने संकेत दिया कि यदि अमेरिका अपना रुख बदलता है, तो वह बातचीत के लिए तैयार हो सकते हैं।


किम जोंग उन का बयान

किम जोंग उन ने उत्तर कोरियाई संसद को संबोधित करते हुए कहा कि उनके पास अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अच्छी यादें हैं और यदि शर्तें पूरी होती हैं, तो वह संवाद के लिए खुले हैं। इस बयान के बाद संभावित किम-ट्रंप वार्ता को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। ट्रंप ने भी संकेत दिया है कि वह इस वर्ष किम से मिलने की उम्मीद रखते हैं। यह संभावना जताई जा रही है कि दोनों नेताओं की मुलाकात आगामी एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन में हो सकती है, जो 31 अक्टूबर से 1 नवंबर तक दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में आयोजित होगा।


शांति समझौते की संभावना

ट्रंप उत्तर कोरिया के साथ किसी शांति समझौते की दिशा में बढ़ सकते हैं, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूती मिलेगी। ट्रंप का दावा है कि उन्होंने जनवरी में पद ग्रहण करने के बाद से सात युद्ध समाप्त करवाए हैं, जिनमें इजरायल-ईरान और भारत-पाकिस्तान के बीच का संघर्ष भी शामिल है।


पिछली मुलाकातें

ट्रंप और किम जोंग उन की पहली अवधि में तीन मुलाकातें हो चुकी हैं: जून 2018 में सिंगापुर, फरवरी 2019 में हनोई, और जून 2019 में पनमुनजॉम उत्तर कोरिया सीमा गांव में। हालांकि, उस समय कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच वार्ता की संभावनाएं फिर से उभर रही हैं, लेकिन अमेरिका का मूल उद्देश्य अभी भी पूर्ण निरस्तीकरण है।