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अमेरिका की नजर भारत-पाकिस्तान संबंधों पर: मार्को रुबियो का बयान

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों पर टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने युद्धविराम की चुनौतियों और शांति समझौते की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका हर दिन इन दोनों देशों के बीच की गतिविधियों पर नजर रखता है। रुबियो ने यह भी बताया कि युद्धविराम को बनाए रखना एक कठिन कार्य है और स्थायी समाधान की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं।
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अमेरिका की नजर भारत-पाकिस्तान संबंधों पर: मार्को रुबियो का बयान

भारत-पाकिस्तान स्थिति पर अमेरिका की नजर

भारत-पाकिस्तान स्थिति रविवार को अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका हर दिन पाकिस्तान और भारत के बीच की गतिविधियों पर ध्यान दे रहा है। यह बयान उन्होंने यूक्रेन में युद्धविराम की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि युद्धविराम का एकमात्र समाधान यह है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे पर गोलीबारी रोकने पर सहमत हों।


रुबियो ने यह भी बताया कि युद्धविराम तक पहुंचना ही नहीं, बल्कि उसे बनाए रखना भी एक जटिल कार्य है। उन्होंने कहा, "हम हर दिन पाकिस्तान और भारत के बीच की स्थिति पर नजर रखते हैं, साथ ही कंबोडिया और थाईलैंड के बीच भी।"


एनबीसी न्यूज़ के कार्यक्रम 'मीट द प्रेस' में दिए गए साक्षात्कार में, रुबियो ने कहा कि युद्धविराम बहुत जल्दी टूट सकता है, खासकर जब बात यूक्रेन में चल रहे साढ़े तीन साल के युद्ध की हो। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका स्थायी युद्धविराम का लक्ष्य नहीं रखता, बल्कि रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौते की तलाश में है।


शांति समझौते की दिशा में प्रयास


रुबियो ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि कोई भी इस बात से असहमत होगा कि हमारा आदर्श लक्ष्य स्थायी युद्धविराम नहीं है। हमारा असली लक्ष्य एक ऐसा शांति समझौता है, जिससे न केवल वर्तमान में युद्ध रुके, बल्कि भविष्य में भी कोई संघर्ष न हो।"


भारत-पाकिस्तान संघर्ष का उल्लेख


उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष का भी उल्लेख किया और कहा कि हमें एक ऐसे राष्ट्रपति के लिए आभारी होना चाहिए जिसने शांति को अपने प्रशासन की प्राथमिकता बनाया है। उन्होंने कहा, "हमने इसे कंबोडिया और थाईलैंड में देखा है, और भारत-पाकिस्तान में भी।"


हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए कहा था कि किसी भी देश के नेता ने भारत से ऑपरेशन सिंदूर रोकने के लिए नहीं कहा था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ युद्धविराम समझौते में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं था।