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अमेरिका की पाबंदियों का रूस और चीन ने दिया करारा जवाब

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस, ईरान और चीन को कड़ा संदेश देने के लिए भारत को चुना, लेकिन अब अमेरिका को अपनी गलती का एहसास होने वाला है। चीन और रूस ने ईरान पर प्रस्तावित प्रतिबंधों को खारिज कर दिया है, जिससे यूरोप पर भी असर पड़ेगा। जानें इस जटिल अंतरराष्ट्रीय स्थिति के बारे में और कैसे यह घटनाक्रम वैश्विक राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
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अमेरिका की पाबंदियों का रूस और चीन ने दिया करारा जवाब

अमेरिका का रणनीतिक कदम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस, ईरान और चीन को कड़ा संदेश देने के लिए भारत को एक महत्वपूर्ण भूमिका दी। उन्होंने रूसी तेल की खरीद पर रोक लगाने के लिए भारत पर टैरिफ लगाने का निर्णय लिया, जो अब अमेरिका के लिए एक बड़ी गलती साबित हो सकता है। जैसे ही भारत, रूस और चीन का गठबंधन मजबूत हुआ, ईरान और उत्तर कोरिया के नेता भी चीन की ओर बढ़ रहे हैं। इससे पहले कि वे चीन पहुंचें, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका को एक गंभीर चेतावनी दी है। यह केवल अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि पूरे पश्चिमी देशों के लिए एक बड़ा झटका है, जो लगातार ईरान पर दबाव बना रहे थे।


यूरोप पर असर

जिस यूरोप का हवाला देकर अमेरिका ने भारत पर पाबंदियां लगाई थीं, अब वही यूरोप चीन और रूस के निशाने पर आ गया है। चीन और रूस, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं, ने यूरोपीय देशों द्वारा ईरान पर प्रस्तावित प्रतिबंधों को खारिज कर दिया है। इससे ईरान को महत्वपूर्ण राहत मिली है। ई-3 देशों, जिसमें फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी शामिल हैं, को संयुक्त राष्ट्र में चीन और रूस से एक बड़ा झटका लगा है। ये देश ईरान पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन चीन और रूस ने उनके प्रयासों को असफल कर दिया।


परमाणु समझौते का मामला

चीन और रूस, ईरान के 2015 के परमाणु समझौते के हस्ताक्षरकर्ता हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 2018 में अमेरिका को इस समझौते से बाहर कर लिया था। हाल ही में, यूरोपीय देशों ने ईरान पर इस समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए "स्नैपबैक मैकेनिज़्म" शुरू किया। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने इस कदम को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अधिकारों का दुरुपयोग बताया है।