अमेरिका में वीजा नियमों में बदलाव: जानें नए बॉन्ड सिस्टम के बारे में

अमेरिका वीजा अपडेट
अमेरिका वीजा समाचार: यदि आप अमेरिका यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है। अमेरिका ने अपने वीजा नियमों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक नया पायलट प्रोग्राम पेश किया है, जो 20 अगस्त 2025 से लागू होगा। इस योजना के तहत चयनित देशों के नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश से पहले 15,000 डॉलर तक का बॉन्ड जमा करना होगा।
वीजा बॉन्ड की जानकारी
वीजा बॉंड एक प्रकार की सुरक्षा राशि है, जिसे यात्रियों को यह सुनिश्चित करने के लिए देना होगा कि वे अपनी वीजा शर्तों का पालन करें, विशेषकर अधिकतम ठहराव की अवधि का। यदि यात्री निर्धारित समय पर अमेरिका छोड़ देता है और सभी नियमों का पालन करता है, तो उसे यह राशि वापस मिल जाएगी। लेकिन यदि वह ओवरस्टे करता है, तो यह राशि जब्त कर ली जाएगी। इस पायलट प्रोग्राम के बॉंड को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है: $5,000, $10,000 और $15,000।
किस देशों पर पड़ेगा प्रभाव?
यह नियम अभी भारत जैसे देशों पर लागू नहीं हुआ है। इस योजना की शुरुआत मलावी और जाम्बिया से होगी। इन देशों के नागरिक जो B-1 और B-2 वीजा के लिए आवेदन करेंगे, उन्हें 15,000 डॉलर का बॉंड भरना होगा। विदेश विभाग के अनुसार, इस सूची में आगे ओवरस्टे की दर, स्क्रीनिंग की गुणवत्ता और नागरिकता प्राप्त करने वाले देशों को शामिल किया जाएगा। उदाहरण के लिए, हैती, लाओस, म्यांमार और यमन जैसे देशों में वीजा ओवरस्टे की दर बहुत अधिक है।
यह कदम क्यों उठाया गया?
2023 में अमेरिका में लगभग 4 लाख लोग वीजा ओवरस्टे करते हुए पकड़े गए। यह आंकड़ा देश की कुल अनधिकृत अप्रवासी आबादी का 42% है। अमेरिका का उद्देश्य इस वीजा बॉंड प्रणाली के माध्यम से लोगों को नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना है।
सभी को नहीं देना होगा बॉंड
यह नियम सभी वीजा उपयोगकर्ताओं पर लागू नहीं होगा। केवल चयनित देशों के B-1 और B-2 वीजा उपयोगकर्ताओं को इसका पालन करना होगा। इसके अलावा, कुछ मानवीय कारणों या अमेरिकी सरकारी कार्यों के लिए यात्रा करने वाले लोगों को छूट भी मिल सकती है।
क्या अन्य देशों में भी ऐसा होता है?
दुनिया के कई देशों में वीजा के साथ आर्थिक गारंटी देने की प्रथा रही है। न्यूजीलैंड और ब्रिटेन जैसे देशों में यह नीति कुछ समय के लिए लागू थी, लेकिन बाद में इसे समाप्त कर दिया गया। अमेरिका ने भी 2020 में एक पायलट प्रोग्राम चलाया था, लेकिन अब इसे अधिक संगठित तरीके से लागू किया जा रहा है।