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अयोध्या में ध्वजारोहण समारोह: पीएम मोदी का ऐतिहासिक क्षण

आज अयोध्या में एक ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 161 फुट ऊंचे शिखर पर विशेष ध्वज फहराएंगे। यह आयोजन मंदिर के पूर्ण निर्माण का प्रतीक है और इसे 'अभिजीत मुहूर्त' में किया जाएगा। अयोध्या को 100 टन फूलों से सजाया गया है, और इस अवसर पर देशभर से विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे। जानें इस समारोह का महत्व और इसके पीछे की खासियतें।
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अयोध्या में ध्वजारोहण समारोह: पीएम मोदी का ऐतिहासिक क्षण

अयोध्या का ऐतिहासिक दिन


अयोध्या: आज अयोध्या एक महत्वपूर्ण घटना का गवाह बनने जा रही है। श्री राम जन्मभूमि मंदिर के पूर्ण निर्माण के उपलक्ष्य में ध्वजारोहण समारोह दोपहर में आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन मंदिर की वास्तुकला की पूर्णता और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक माना जा रहा है। पुजारियों के अनुसार, ध्वजारोहण का समय 'अभिजीत मुहूर्त' होगा, जो किसी भी शुभ कार्य के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।


प्रधानमंत्री का ध्वजारोहण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 161 फुट ऊंचे शिखर पर विशेष ध्वज फहराएंगे। यह ध्वज 22 फुट लंबा और 11 फुट चौड़ा है, जिसे 42 फुट ऊंचे स्तंभ पर स्थापित किया जाएगा। इस अवसर पर लगभग 6,000 से 8,000 विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहेंगे। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि इस समारोह में भगवान राम से जुड़े विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है, जैसे निषाद समुदाय और शबरी माता से जुड़े समूह।


अयोध्या की सजावट

इस भव्य समारोह के लिए अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया गया है। लगभग 100 टन फूलों से मंदिर परिसर और उसके आस-पास के क्षेत्रों को सजाया गया है। ध्वजारोहण के तुरंत बाद मंदिर में विशेष आरती का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर से आए संत, विद्वान और विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे।


ध्वजारोहण समारोह का महत्व

1. मंदिर निर्माण का प्रतीक


ध्वजारोहण यह दर्शाता है कि मंदिर अब केवल एक निर्माणाधीन संरचना नहीं है, बल्कि यह एक पूर्ण और सक्रिय धार्मिक केंद्र बन चुका है। इसे भगवान राम के दिव्य धाम के औपचारिक उद्घाटन के रूप में देखा जा रहा है।


2. विशेष ध्वज और पवित्र प्रतीक


प्रधानमंत्री द्वारा फहराया जाने वाला ध्वज भगवा रंग का है, जिस पर सुनहरे धागे से तीन दिव्य प्रतीक कढ़े गए हैं:


सूर्य: राम के सूर्यवंश का प्रतीक


ॐ: ब्रह्मांडीय ऊर्जा


कोविदार वृक्ष: समृद्धि और रामराज्य का संकेत


कोविदार वृक्ष का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है।


3. प्राण प्रतिष्ठा से अलग लेकिन समान रूप से पवित्र


22 जनवरी 2024 को हुई प्राण प्रतिष्ठा के दौरान राम लला की मूर्ति में प्राण शक्ति स्थापित की गई थी। ध्वजारोहण मंदिर की पूर्ण संरचना के आध्यात्मिक सक्रियण का सूचक है। इस दिन मंदिर के सभी 44 द्वार अनुष्ठानों के लिए खोले जाते हैं।


4. विवाह पंचमी का महत्व


ध्वजारोहण की तिथि विवाह पंचमी होने के कारण विशेष महत्व रखती है। यह वही दिन है जब राम और सीता का विवाह हुआ था। इसके साथ अभिजीत मुहूर्त भी जुड़ा है, जो भगवान राम का जन्म नक्षत्र माना जाता है। इस प्रकार यह दिन राम-सीता विवाह उत्सव की शुरुआत को भी दर्शाता है।


5. विशेष तकनीक से निर्मित ध्वज


अहमदाबाद की एक विशेषज्ञ पैराशूट निर्माण कंपनी ने इस ध्वज को 25 दिनों में तैयार किया।



  • पैराशूट-ग्रेड कपड़ा

  • उच्च गुणवत्ता के रेशमी धागे

  • 60 किमी/घंटा की हवा को सहने की क्षमता

  • 42 फुट के घूमने वाले पोल पर स्वचालित लिफ्टिंग सिस्टम

  • यह ध्वज धूप, बारिश और तेज़ हवा में भी मजबूत बना रहेगा।