अरविंद केजरीवाल ने सौरभ भारद्वाज के खिलाफ ईडी की कार्रवाई पर उठाए सवाल

ईडी की कार्रवाई पर केजरीवाल का बयान
नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हालिया कार्रवाई पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है ताकि विपक्ष की आवाज को दबाया जा सके। केजरीवाल ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "सौरभ भारद्वाज के निवास पर ईडी की छापेमारी सरकार द्वारा एजेंसियों के दुरुपयोग का एक और उदाहरण है। आम आदमी पार्टी को टारगेट किया जा रहा है, जैसा कि इतिहास में किसी अन्य पार्टी के साथ नहीं हुआ।"
उन्होंने आगे कहा, "इसका कारण यह है कि आम आदमी पार्टी सरकार की गलत नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे मुखर आवाज है। सरकार हमारी आवाज को दबाना चाहती है, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा। आम आदमी पार्टी इन छापों से डरने वाली नहीं है। हम हमेशा देशहित में गलत नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे।"
मनीष सिसोदिया का समर्थन
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी इस मुद्दे पर सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "सोमवार को पूरे देश ने प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल उठाया। जब डिग्री का सच सामने आया, तो ध्यान भटकाने के लिए सौरभ भारद्वाज पर ईडी की रेड कराई गई। सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री की डिग्री फर्जी है? लेकिन उस सवाल का जवाब देने की हिम्मत नहीं पड़ी, इसलिए आम आदमी पार्टी के नेताओं पर रेड डाल दी गई।"
सिसोदिया ने अपने पोस्ट में यह भी लिखा, "जिस समय का यह मामला बताया जा रहा है, उस समय सौरभ मंत्री नहीं थे। इसका मतलब यह है कि जैसे उनकी डिग्री फर्जी है, वैसे ही यह मामला भी फर्जी है। याद कीजिए सत्येंद्र जैन को, जिन्हें तीन साल जेल में रखा गया, लेकिन कोई सबूत नहीं मिला। सच्चाई यह है कि ये सारे मामले फर्जी हैं। असली लड़ाई सच्चाई की नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी की ईमानदारी को दबाने की है।"
ईडी की छापेमारी का विवरण
गौरतलब है कि अस्पताल निर्माण में कथित घोटाले के मामले में सौरभ भारद्वाज के खिलाफ ईडी ने मंगलवार सुबह 13 स्थानों पर छापे मारे, जिसमें उनका आवास भी शामिल है। यह घोटाला लगभग 5,590 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। 2018-2019 में आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने 24 अस्पतालों के निर्माण के लिए 5,590 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। आईसीयू अस्पताल का निर्माण छह महीने में पूरा होना था, लेकिन तीन साल बाद भी काम अधूरा है।