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अलास्का में ट्रंप-पुतिन की बैठक: भारत की भूमिका पर चर्चा

अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बैठक ने भारत की वैश्विक भूमिका को उजागर किया। इस वार्ता में भारत के ऊर्जा बाजार और सामरिक महत्व पर चर्चा की गई। ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीदने पर चिंता जताई और आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा की। जानें इस महत्वपूर्ण बैठक के सभी पहलुओं के बारे में।
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अलास्का में ट्रंप-पुतिन की बैठक: भारत की भूमिका पर चर्चा

डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की महत्वपूर्ण बैठक

डोनाल्ड ट्रंप: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बैठक ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया। इस बैठक के दौरान भारत का नाम बार-बार लिया गया। पुतिन ने पहले ही कहा था कि भारत वैश्विक मुद्दों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं, ट्रंप ने भी बैठक से पहले कहा कि रूस ने भारत के रूप में एक महत्वपूर्ण ग्राहक खो दिया है।


तीन घंटे की वार्ता का परिणाम

तीन घंटे लंबी बातचीत रही बेनतीजा

अलास्का के अमेरिकी सैन्य अड्डे पर शुक्रवार को दोनों नेताओं के बीच लगभग तीन घंटे तक चर्चा हुई। ट्रंप ने इसे सकारात्मक बताया, लेकिन स्पष्ट किया कि यूक्रेन संकट पर कोई ठोस समझौता नहीं हो सका। दोनों नेताओं ने भविष्य में वार्ता जारी रखने की उम्मीद जताई, लेकिन तत्काल किसी समझौते की संभावना नहीं दिखी।


ट्रंप का भारत पर बयान

भारत को लेकर ट्रंप का बयान

अलास्का जाने से पहले, ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वह इस बैठक में कोई आर्थिक समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि रूस ने एक बड़ा ग्राहक खो दिया है। ट्रंप ने बताया कि भारत पहले रूस से लगभग 40 प्रतिशत तेल खरीदता था, और इस खरीदारी में कमी आने से रूस को आर्थिक नुकसान हुआ है।


भारत पर आयात शुल्क में वृद्धि

भारत पर बढ़ाए गए आयात शुल्क

ट्रंप का भारत के प्रति रुख हाल के दिनों में सख्त हो गया है। उन्होंने हाल ही में कहा था कि भारत रूस से तेल खरीदकर वैश्विक स्थिति को जटिल बना रहा है और इसके लिए उसे कीमत चुकानी होगी। इसी संदर्भ में, उन्होंने भारत पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा की। इनमें से आधे शुल्क पहले ही लागू हो चुके हैं, जबकि बाकी 27 अगस्त से लागू होंगे।


भारत की वैश्विक भूमिका

भारत की भूमिका पर वैश्विक नजर

अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव और यूक्रेन युद्ध के बीच भारत का नाम बार-बार लिया जाना यह दर्शाता है कि भारत की भूमिका वैश्विक राजनीति में कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। रूस और अमेरिका दोनों ही भारत के ऊर्जा बाजार और सामरिक महत्व को समझते हैं। यही कारण है कि अलास्का में हुई यह उच्च-स्तरीय वार्ता भारत का उल्लेख किए बिना अधूरी सी लग रही थी।