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अशोक गहलोत ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर उठाए सवाल

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे 'दबाव का परिणाम' बताते हुए केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। गहलोत ने कहा कि यह इस्तीफा लोकतंत्र पर एक बड़ा प्रहार है। उन्होंने धनखड़ के इस्तीफे के पीछे के कारणों पर सवाल उठाए और इसे संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन बताया। इसके अलावा, गहलोत ने बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाने की घटना को लोकतंत्र की हत्या का परीक्षण करार दिया। इस लेख में गहलोत के बयानों और उनके द्वारा उठाए गए सवालों का विस्तृत विवरण है।
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अशोक गहलोत ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर उठाए सवाल

गहलोत का केंद्र सरकार पर हमला

अशोक गहलोत का बयान: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने जयपुर में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को 'दबाव का परिणाम' बताया। गहलोत ने कहा कि आज संवैधानिक संस्थाएं सत्ता के इशारों पर काम कर रही हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र नहीं, बल्कि 'केंद्रीय तानाशाही' करार दिया। उनके अनुसार, धनखड़ का इस्तीफा केवल एक इस्तीफा नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर एक बड़ा प्रहार है।


गहलोत ने उठाए सवाल

गहलोत ने पूछे तीखे सवाल

गहलोत ने धनखड़ के इस्तीफे पर कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह इस्तीफा कोई आश्चर्य की बात नहीं है, बल्कि यह उस दबाव का परिणाम है जिसके चलते यह हुआ। कुछ दिन पहले धनखड़ ने कहा था कि वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और किसी दबाव में नहीं हैं। गहलोत ने सवाल किया कि फिर अचानक इस्तीफा क्यों दिया गया? क्या यह किसी दैवीय शक्ति का काम था या फिर दिल्ली से कोई आदेश आया था? उन्होंने इसे संवैधानिक मर्यादाओं के खिलाफ बताया और कहा कि हमारे विरोध के बावजूद इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया।


विपक्ष की आवाज को दबाना

विपक्ष को बार-बार बोलने से रोका

गहलोत ने कहा कि यह वही उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने विपक्ष की आवाज को बार-बार दबाया। जिनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इस्तीफे की स्वीकृति ने संवैधानिक प्रक्रिया का अपमान किया है। गहलोत ने कांग्रेस के दिग्गज नेता परसराम मदेरणा की जयंती पर पीसीसी में श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि मदेरणा केवल कांग्रेस के नेता नहीं थे, बल्कि किसान राजनीति के मजबूत स्तंभ थे। मौजूदा सरकार चाहे जितनी कोशिश करे, उनके जैसे नेताओं की विरासत को मिटाया नहीं जा सकता।


बिहार में लोकतंत्र पर हमला

बिहार में घोंटा जा रहा लोकतंत्र का गला

गहलोत ने बिहार में 52 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राज्य का मामला नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की हत्या का एक परीक्षण है। क्या इतने बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से नाम हटाना सामान्य है? मामला अदालत में है, लेकिन चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठते हैं। अब वह स्वतंत्र नहीं रह गया है, बल्कि 'आदेशों का गुलाम' बन गया है।