असदुद्दीन ओवैसी का मोदी सरकार पर हमला: क्रिकेट मैच और आतंकवाद का विरोधाभास

ओवैसी की सरकार पर तीखी आलोचना
एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व बयानों का संदर्भ देते हुए सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री ने कहा था कि "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते" और "आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते", तो बैसरन घाटी में नागरिकों की हत्या के बाद भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच की अनुमति क्यों दी जा रही है? ओवैसी ने इसे सरकार की दोहरी नीति करार दिया।
व्यापार बंद, नावें रोकी गईं तो क्रिकेट कैसे जायज?
ओवैसी ने यह भी याद दिलाया कि सरकार ने पाकिस्तान के साथ व्यापार को रोक दिया है और उनकी नावों को भारतीय जलसीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि जब पाकिस्तान के प्रति इतना सख्त रुख अपनाया गया है, तो क्रिकेट मैच की अनुमति कैसे दी जा सकती है? उन्होंने कहा कि उनका नैतिकता उन्हें इस मैच को देखने की इजाजत नहीं देती।
बैसरन घाटी में हमले की जिम्मेदारी
बैसरन घाटी में आतंकियों द्वारा नागरिकों की हत्या पर ओवैसी ने सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल की कमी है। पहले सरकार ने कहा कि बैसरन घाटी बंद है, फिर यह बताया गया कि यह सामान्य दिनों में खुली रहती है। इससे नीति में स्पष्ट विरोधाभास नजर आता है।
पाकिस्तान और इजरायल को विफल देश करार
अपने भाषण में ओवैसी ने पाकिस्तान और इजरायल को विफल देश बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का सेना प्रमुख उस देश (इजरायल) के राष्ट्रपति के साथ भोजन कर रहा है, जिसके कारण भारत में लोग मारे जा रहे हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि यही भारत की कूटनीतिक सफलता है, तो यह शर्मनाक है।
सीजफायर की घोषणा पर सवाल
ओवैसी ने कहा कि यह भारत के आत्मसम्मान के खिलाफ है कि कोई विदेशी देश व्हाइट हाउस से बैठकर भारत-पाक के बीच सीजफायर की घोषणा करे और भारत उसे मान ले। उन्होंने पूछा कि क्या हमारी सेना और पायलटों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा? उन्होंने अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि वह भारत का मित्र है, तो भारत उसके सामने अपनी बात रखने में संकोच क्यों कर रहा है?
चीन से सवाल क्यों नहीं?
ओवैसी ने सरकार से पूछा कि क्या भारत ने कभी चीन से यह पूछा कि वह पाकिस्तान को हथियार क्यों देता है? उन्होंने कहा कि यदि भारत वास्तव में विश्वगुरु बनने की बात करता है, तो उसे अमेरिका, G7 देशों और खाड़ी देशों को मनाना चाहिए कि वे पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डालें।
विदेश नीति को राजनीति से दूर रखें
अंत में, असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार को चेतावनी दी कि विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों को राजनीति का हथियार नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि गलवान संघर्ष के समय जब अमेरिका ने मध्यस्थता की पेशकश की थी, तब भारत ने उसे ठुकरा दिया था। लेकिन अब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप भारत-पाक मामलों में खुलकर बयान दे रहे हैं, जो भारत की कूटनीतिक कमजोरी को दर्शाता है।