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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का चेतावनी भरा संदेश: पहचान और संस्कृति की रक्षा करें

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर गुवाहाटी में एक भावुक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने स्वदेशी लोगों से अपनी पहचान और संस्कृति की रक्षा करने की अपील की। उन्होंने 'अज्ञात लोगों' से उत्पन्न जनसांख्यिकीय खतरे के बारे में चेतावनी दी और कहा कि यदि समय पर कदम नहीं उठाए गए, तो असम की पहचान मिट सकती है। मुख्यमंत्री ने अवैध अतिक्रमण और घुसपैठ के मुद्दे पर गंभीरता से बात की और स्वदेशी लोगों से अपनी भूमि की सुरक्षा का संकल्प लेने का आग्रह किया।
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का चेतावनी भरा संदेश: पहचान और संस्कृति की रक्षा करें

मुख्यमंत्री का भावुक संबोधन

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा: गुवाहाटी में 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडा फहराते हुए, मुख्यमंत्री सरमा ने राज्य के स्वदेशी निवासियों से अपनी पहचान, भूमि और संस्कृति की सुरक्षा के लिए सजग रहने की अपील की। उन्होंने 'अज्ञात लोगों' से उत्पन्न 'जनसांख्यिकीय खतरे' के बारे में गंभीर चेतावनी दी, यह कहते हुए कि यदि समय पर कदम नहीं उठाए गए, तो असम की पहचान मिट सकती है।


संकेत स्पष्ट, लेकिन नाम नहीं

मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में किसी विशेष समुदाय का नाम नहीं लिया, लेकिन 'अज्ञात लोग' शब्द का उपयोग करते हुए उन्होंने स्पष्ट संकेत दिए कि उनका इशारा बंगाली भाषी मुसलमानों की ओर था। उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग अवैध अतिक्रमण और घुसपैठ कर रहे हैं, जिससे असम की जनसांख्यिकी में तेजी से बदलाव आ रहा है।


अस्मिता की रक्षा की आवश्यकता

‘अगर चुप रहे तो मिट जाएंगे’

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि हमारे अस्तित्व की लड़ाई है। यदि हम मौन रहे, तो अगले एक दशक में हम अपनी पहचान, भूमि और असमिया संस्कृति को खो देंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि वर्तमान स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो अगले 20 वर्षों में असम का मुख्यमंत्री 'घुसपैठियों के समुदाय' से हो सकता है।


78 वर्षों में जनसांख्यिकी में बदलाव

78 साल में बदली जनसांख्यिकी

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 78 वर्षों में किसी भी सरकार ने अवैध प्रवासियों के मुद्दे को सुलझाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, जिसके कारण निचले और मध्य असम में जनसांख्यिकीय संतुलन बिगड़ गया है। उनका दावा है कि आज असम में असमिया आबादी केवल 60% रह गई है। उन्होंने कहा कि घुसपैठिए न केवल भूमि पर, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी कब्जा कर रहे हैं।


अतिक्रमण हटाने की प्रतिबद्धता

अतिक्रमण हटाने की प्रतिज्ञा

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सभी सरकारी भूमि, जनजातीय बेल्ट और चारागाह क्षेत्रों से अवैध कब्जा हटाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि अब तक 1.2 लाख बीघा अतिक्रमित भूमि को खाली कराया गया है। उन्होंने जिलाधिकारियों को चेतावनी दी कि भविष्य में किसी भी नए अतिक्रमण के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा।


भूमि की सुरक्षा का संकल्प

‘एक इंच जमीन भी ना बेचें’

मुख्यमंत्री ने स्वदेशी लोगों से अपील की कि वे अज्ञात खरीदारों को एक इंच भूमि भी न बेचें। यदि आज हम यह संकल्प लें कि हम अपनी भूमि नहीं बेचेंगे और घर किराए पर नहीं देंगे, तो हम इस खतरे को काफी हद तक टाल सकते हैं। उन्होंने असम की आध्यात्मिक विरासत का उल्लेख करते हुए संत-विद्वान श्रीमंत शंकरदेव का जिक्र किया और चेतावनी दी कि असम की पहचान कमजोर हो रही है।