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अहमदाबाद में बीजे मेडिकल कॉलेज पर बोइंग 787 का हादसा

गुजरात के अहमदाबाद में बीजे मेडिकल कॉलेज ने हाल ही में एक गंभीर विमान दुर्घटना का सामना किया, जिसमें बोइंग 787 ड्रीमलाइनर ने कॉलेज के परिसर को नुकसान पहुँचाया। इस घटना ने कॉलेज के इतिहास में एक और दुखद अध्याय जोड़ा है, जो पहले भी कई आपदाओं का सामना कर चुका है। जानें इस हादसे के प्रभाव और कॉलेज की चिकित्सा सेवाओं के बारे में।
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अहमदाबाद में बीजे मेडिकल कॉलेज पर बोइंग 787 का हादसा

बीजे मेडिकल कॉलेज का इतिहास और हादसा

गुजरात के अहमदाबाद स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज, जो कि देश की सबसे पुरानी चिकित्सा संस्थाओं में से एक है, हाल ही में एक गंभीर विमान दुर्घटना का साक्षी बना। इस कॉलेज का 100 एकड़ का परिसर, जिसमें चार मंजिला इमारतें, दो मंजिला भोजनालय और छात्रावास शामिल हैं, बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के हादसे से प्रभावित हुआ।


मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह दुर्घटना सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डे से केवल 2.5 किलोमीटर की दूरी पर हुई। 1988 में भी इसी संस्थान ने एक अन्य विमान दुर्घटना में राहत कार्यों का संचालन किया था, जिसमें 133 लोगों की जान गई थी। बीजे मेडिकल कॉलेज के पूर्व बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. एमएफ शेख ने बताया कि उस समय केवल दो लोग ही जीवित बचे थे।


हादसे का प्रभाव

हादसे में क्षति

गुरुवार को हुई इस दुर्घटना में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर ने कॉलेज के छात्रावास और भोजनालयों को टक्कर मारी, जिससे चार छात्रावास की बाहरी दीवारें जल गईं और दो भोजनालय आंशिक रूप से ढह गए। 1871 में 14 छात्रों के साथ स्थापित, यह कॉलेज गुजरात का सबसे पुराना और भारत के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में से एक है। इसके परिसर में 2,500 बेड का अस्पताल है, और 2019 में यहां 1,200 बेड का एक और अस्पताल खोला गया।


चिकित्सा शिक्षा और सेवाएं

शिक्षा का केंद्र

अहमदाबाद के जाने-माने नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. जावेद वकील ने बताया कि हर साल यहां 256 एमबीबीएस छात्रों को प्रवेश दिया जाता है और 400 से अधिक स्नातकोत्तर सीटें उपलब्ध हैं। अस्पताल में हर साल 300 से अधिक किडनी प्रत्यारोपण किए जाते हैं, और मरीज दूरदराज के क्षेत्रों से आते हैं। अस्पताल की वेबसाइट के अनुसार, 1879 में सर ब्यरमजी जीजीभॉय के ₹20,000 के दान से इसे बीजे मेडिकल स्कूल का नाम दिया गया। 1917 में इसे कॉलेज ऑफ फिजिशियन्स एंड सर्जन्स ऑफ बॉम्बे से संबद्धता मिली, और 1946 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से जुड़कर इसे बीजे मेडिकल कॉलेज का दर्जा प्राप्त हुआ।


आपदाओं में महत्वपूर्ण भूमिका

संकट के समय सहारा

बीजे मेडिकल कॉलेज ने 2001 के भुज भूकंप, 2002 के अक्षरधाम मंदिर हमले, 2009-10 के स्वाइन फ्लू प्रकोप, और 2020-21 की महामारी जैसी आपदाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ. शेख ने कहा, "यह अस्पताल हमेशा सामूहिक हताहतों का प्रबंधन करता रहा है। 2008 के अहमदाबाद बम विस्फोटों के दौरान भी यह अस्पताल अपनी सेवाएं प्रदान करता रहा।"