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आंध्र प्रदेश में काम के घंटे बढ़ाने के विधेयक पर मानवाधिकार फोरम की कड़ी प्रतिक्रिया

आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा काम के घंटे बढ़ाने के प्रस्तावित विधेयक पर मानवाधिकार फोरम ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। फोरम ने इसे श्रमिकों के स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए हानिकारक बताया है। उनका कहना है कि यह कदम श्रमिकों का शोषण कर सकता है, खासकर कोविड-19 महामारी के बाद की आर्थिक स्थिति में। एचआरएफ ने सरकार से इस विधेयक पर पुनर्विचार करने की अपील की है। जानें इस मुद्दे पर और क्या चिंताएं उठाई गई हैं।
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मानवाधिकार फोरम की चिंता

मानवाधिकार फोरम (एचआरएफ) ने आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए एक विधेयक की तीखी आलोचना की है, जिसमें काम के घंटे को 8 से बढ़ाकर 10 घंटे करने का प्रस्ताव है। फोरम ने इसे 'श्रमिक-विरोधी' करार देते हुए श्रम कानूनों का उल्लंघन बताया है।


एचआरएफ ने एक बयान में कहा कि काम के घंटे बढ़ाने से कर्मचारियों की सेहत और उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उनका तर्क है कि यह विधेयक श्रमिकों के शोषण की संभावनाओं को बढ़ा सकता है, खासकर कोविड-19 महामारी के बाद जब कई श्रमिक अभी भी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।


फोरम ने यह भी चिंता व्यक्त की कि महामारी के दौरान लागू अस्थायी उपायों को अब स्थायी कानून में बदलने का प्रयास किया जा रहा है। एचआरएफ ने कहा कि ऐसे बदलाव आधुनिक कार्यस्थल की प्रथाओं के खिलाफ हैं और यह लंबे समय में स्वचालन को बढ़ावा देकर या नई भर्तियों को कम करके नौकरियों के नुकसान का कारण बन सकते हैं।


एचआरएफ ने सरकार से इस विधेयक पर पुनर्विचार करने और श्रमिकों के हितों की रक्षा करने वाले कानूनों को प्राथमिकता देने का अनुरोध किया है।