आजम खान की रिहाई: क्या सपा से दूर होंगे समाजवादी नेता?

आजम खान की रिहाई
आजम खान की रिहाई: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा माने जाने वाले समाजवादी नेता आजम खान अब सीतापुर जेल से रिहा होने जा रहे हैं। लगभग दो वर्षों तक जेल में रहने के बाद उनकी रिहाई समाजवादी पार्टी के समर्थकों के लिए एक बड़ी राहत का कारण बनी है। लेकिन इस रिहाई के साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या आजम खान सपा के साथ बने रहेंगे या नई राजनीतिक दिशा की ओर बढ़ेंगे? आजम खान पर 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से अधिकांश 2017 में भाजपा सरकार के गठन के बाद शुरू हुए। पिछले कुछ महीनों में उन्हें विभिन्न मामलों में जमानत मिली, लेकिन कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलताओं के कारण उनकी रिहाई में देरी हुई।
आजम खान पर आरोप
मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय मामला
आजम खान पर आरोप है कि उन्होंने रामपुर में विश्वविद्यालय के लिए किसानों की जमीन को जबरन हड़प लिया। यह मामला सबसे बड़ा और चर्चित माना जाता है।
शत्रु संपत्ति पर कब्जा
उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने शत्रु संपत्ति को अवैध रूप से अपने कब्जे में लेकर विश्वविद्यालय में मिला दिया। इस मामले में उन्हें और उनके परिवार को सजा भी मिल चुकी है।
डूंगरपुर प्रकरण
गरीबों के लिए बनाए गए आश्रय आवास की जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप आज़म पर है। इस केस में भी उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हैं।
जन्म प्रमाण पत्र घोटाला और विधानसभा सदस्यता रद्द
आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आज़म पर दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप है। अब्दुल्ला ने इसी आधार पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया और उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई।
भड़काऊ भाषण और हेट स्पीच मामले
अपने विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाने वाले आज़म खान पर 2019 और 2022 के चुनावों में आचार संहिता उल्लंघन और हेट स्पीच के आरोप लगे। रामपुर की विशेष अदालत ने उन्हें दोषी पाया, जिससे उनकी सदस्यता रद्द हो गई। इसके बाद हुए उपचुनाव में भाजपा ने सपा को हराकर यह सीट भी छीन ली।
अजीबोगरीब मामले
बकरी-भैंस चोरी से लेकर 'क्वालिटी बार' की जमीन तक के मामले
आजम खान पर गंभीर आरोपों के साथ-साथ कुछ अजीबोगरीब केस भी दर्ज हैं, जैसे भैंस और बकरी चोरी का मामला। उन्होंने खुद भैंस चोरी की एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसके अलावा सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी, लूट और कब्जे जैसे मामलों में भी उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं।
2019 में उनके नफरती भाषण ने उनके राजनीतिक करियर पर भारी असर डाला। इसके बाद से एक के बाद एक केस, सजा और सदस्यता रद्द होने से आजम खान का राजनीतिक वर्चस्व लगातार गिरता गया। रामपुर, जो कभी उनका गढ़ माना जाता था, अब भाजपा के कब्जे में है। आजम खान पर जहां 104 मुकदमे दर्ज हैं, वहीं उनके बेटे अब्दुल्ला खान पर लगभग 40, बड़े बेटे अदीब पर 20 से अधिक और पत्नी तंजीन फातिमा पर करीब 30 मामले दर्ज हैं। कुल मिलाकर आजम परिवार पर लगभग 200 केस दर्ज हैं।
कानूनी लड़ाई
हालांकि कई मामलों में उन्हें ज़मानत मिल चुकी है और कुछ में वह बरी भी हो चुके हैं, लेकिन कई केस अब भी अदालतों में विचाराधीन हैं। जैसे मुरादाबाद में 17 साल पुराने एक केस में उन्हें हाल ही में बरी किया गया है। उनकी रिहाई इस जटिल कानूनी लड़ाई का एक अहम मोड़ है, लेकिन यह अंत नहीं है।
क्या आजम सपा से दूर होंगे?
रिहाई की खबर के साथ ही यह चर्चा तेज हो गई है कि आजम खान समाजवादी पार्टी से नाराज हैं और पार्टी नेतृत्व से दूरी बना सकते हैं। हालांकि इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन उनके समर्थकों में इस बात की चर्चा जोरों पर है।