आपातकाल पर जयशंकर का बयान: युवा पीढ़ी को सिखाना जरूरी

आपातकाल के 50 साल: भाजयुमो का मॉक पार्लियामेंट
नई दिल्ली। भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) ने आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 'मॉक पार्लियामेंट' का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भाग लिया। उन्होंने एससीओ समिट, आपातकाल के समय और ऑपरेशन सिंदूर पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर ने कहा कि राजनाथ सिंह का एससीओ समिट में दस्तावेज पर हस्ताक्षर न करना एक उचित निर्णय था।
जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एससीओ का गठन आतंकवाद से निपटने के लिए किया गया था। जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में दस्तावेज पर चर्चा की, तो एक देश ने आतंकवाद का उल्लेख नहीं करने की इच्छा जताई।
राजनाथ सिंह का यह कहना सही था कि जब संगठन का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है, तो बिना इसके उल्लेख के वह दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। एससीओ सर्वसम्मति से चलता है, इसलिए उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि बयान में आतंकवाद का उल्लेख नहीं होगा, तो हम उस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।
विदेश मंत्री ने आपातकाल पर चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने मॉक पार्लियामेंट में अपने विचार साझा किए। जब आपातकाल की घोषणा हुई, तब उनकी उम्र लगभग 20 वर्ष थी। हमें युवा पीढ़ी को यह बताना चाहिए कि आपातकाल के क्या दुष्परिणाम थे।
उस समय मीडिया पर किस तरह का हमला हुआ, लोकतंत्र और संविधान का हनन हुआ, और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि को नुकसान पहुंचा। सभी को आपातकाल पर विचार करना चाहिए। मैंने युवाओं से कहा कि आपातकाल इसलिए लगाया गया क्योंकि एक परिवार के हित को राष्ट्र के हित से ऊपर रखा गया। आज राष्ट्र के हित को प्राथमिकता दी जाती है।
जयशंकर ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि संविधान को हाथ में लेकर चलने से कुछ नहीं होता, बल्कि यह मन में होना चाहिए। कांग्रेस के डीएनए में आपातकाल है, और आज जब वे संविधान की बात करते हैं, तो यह अच्छा नहीं लगता।
उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर सभी दलों के एकजुट होने की सराहना की। जयशंकर ने कहा कि जब वह शशि थरूर, सुप्रिया सुले, कनिमोझी, संजय झा, जय पांडा, रविशंकर प्रसाद और श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को देखते हैं, तो उन्हें गर्व महसूस होता है। जब सभी दल एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं, तो यह उनके लिए गर्व का क्षण होता है।
उन्होंने कहा कि हर देश में जहां भी प्रतिनिधिमंडल गया, उन्हें बताया गया कि सबसे प्रभावशाली बात यह थी कि सभी दल एकजुट होकर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था।