आयकर विभाग के नोटिस से परेशान भिंड के ढाबा संचालक की कहानी

आयकर विभाग का नोटिस और रवींद्र की दुविधा
भिंड जिले में एक साधारण ढाबा चलाने वाले रवींद्र सिंह चौहान की जिंदगी अचानक आयकर विभाग के 46 करोड़ रुपये के नोटिस से बदल गई है। 30 वर्षीय रवींद्र ने इस नोटिस के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
उनका कहना है कि वे दिन-रात मेहनत करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं और उनके बैंक खाते में सालभर में तीन लाख रुपये का लेन-देन भी नहीं होता। इस मामले के सामने आने के बाद यह संदेह गहरा गया है कि उनकी पहचान का दुरुपयोग किसी बड़े वित्तीय घोटाले में किया गया है।
नोटिस का पहला झटका
नोटिस से मची खलबली
रवींद्र को पहला आयकर नोटिस 9 अप्रैल 2025 को मिला, जो अंग्रेजी में था। अनपढ़ होने के कारण न तो उन्होंने और न ही उनकी पत्नी ने इसे समझा और इसे नजरअंदाज कर दिया। लेकिन जब 25 जुलाई को दूसरा नोटिस आया, तो वे चिंतित हो गए और मामले को समझने की कोशिश की। आयकर विभाग की ग्वालियर शाखा ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में उनके खाते से 46 करोड़ रुपये से अधिक की आय कर से बचाई गई है, इसलिए यह मामला जांच के योग्य है।
बैंक खाते का दुरुपयोग
बैंक खाते का दुरुपयोग
रवींद्र के वकील प्रद्युमन सिंह भदौरिया ने बताया कि 2019 में जब वह ग्वालियर बायपास पर टोल प्लाजा में हेल्पर के रूप में काम कर रहे थे, तब उनके सुपरवाइजर ने पीएफ के लिए बैंक और आधार कार्ड की जानकारी मांगी थी। उसी समय से उनका बैंक खाता खुला और सक्रिय हो गया। रवींद्र का कहना है कि उन्होंने कई बार खाता बंद करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए। इसी खाते का उपयोग करोड़ों रुपये के लेन-देन के लिए किया गया, जबकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।
गरीब परिवार की कठिनाई
गरीब परिवार के संघर्ष की कहानी
रवींद्र का जीवन बेहद साधारण रहा है। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें छठी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्होंने पहले छोटे-मोटे काम किए और बाद में ढाबे पर खाना बनाने लगे। 2023 में टोल प्लाजा का कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद वे पुणे काम करने चले गए। लेकिन अब अचानक इस नोटिस ने उनके परिवार को परेशानी में डाल दिया है। उनका कहना है कि 'मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरे नाम से कोई इतनी बड़ी हेराफेरी कर सकता है।'
पुलिस की दुविधा
पुलिस की दुविधा और जांच का पेच
रवींद्र ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन पुलिस का कहना है कि अपराध दिल्ली में हुआ है, इसलिए वहीं मामला दर्ज करना होगा। इससे परिवार और भी परेशान है। फिलहाल वे कानूनी सलाह लेकर आगे की कार्रवाई कर रहे हैं। यह घटना न केवल उनकी मुश्किलों को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे गरीब और अनपढ़ लोग पहचान चोरी का आसान शिकार बन जाते हैं।