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आर्य संस्कृति और वैश्विक प्रभाव पर मोहन भागवत का बयान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने आर्य संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वजों ने न केवल ज्ञान और संस्कृति का प्रसार किया, बल्कि उन्होंने कभी भी किसी का राज्य छीनने या धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर नहीं किया। यह बयान भारतीय संस्कृति और आर्य सभ्यता के वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है। जानें इस विषय में और क्या कहा गया है।
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आर्य संस्कृति और वैश्विक प्रभाव पर मोहन भागवत का बयान

आर्य संस्कृति का महत्व

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने बताया कि जो लोग उच्च संस्कृति, ज्ञान और मूल्यों के प्रतीक होते हैं, उन्हें आर्य कहा जाता है। हमारे पूर्वजों की यात्रा के तरीके के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट है कि वे छोटे समूहों में पैदल यात्रा करते हुए आगे बढ़े। यह भी ज्ञात है कि वे मैक्सिको से लेकर साइबेरिया तक फैले हुए थे।



भागवत ने आगे कहा कि हमारे पूर्वजों ने जहां भी कदम रखा, उन्होंने न तो किसी का राज्य छीनने का प्रयास किया और न ही किसी को धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य किया। इसके बजाय, उन्होंने वहां की सभ्यता को समृद्ध किया, गणित, आयुर्वेद और विभिन्न शास्त्रों का ज्ञान साझा किया।


यह सब उन्होंने अपनी विरासत और संस्कारों के माध्यम से दुनिया को सशक्त और प्रकाशित करने के उद्देश्य से किया। भागवत के इस वक्तव्य को भारतीय संस्कृति और आर्य सभ्यता के वैश्विक प्रभाव की व्याख्या के रूप में देखा जा रहा है।