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इंदौर में कारोबारी हत्या के मामले में दादी का निधन, परिवार में शोक

इंदौर में कारोबारी राजा रघुवंशी की हत्या के मामले में उनकी दादी गंगोटी बाई का निधन हो गया। परिवार इस दुखद घटना से गहरे सदमे में है। गोविंद, सोनम का भाई, रक्षाबंधन पर अपनी बहन से मिलने की योजना बना रहा था, लेकिन दादी की मृत्यु ने सब कुछ बदल दिया। जमानत याचिका खारिज होने के बाद परिवार की स्थिति और भी कठिन हो गई है। जानें इस मामले में और क्या हो रहा है।
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इंदौर में कारोबारी हत्या के मामले में दादी का निधन, परिवार में शोक

दादी का निधन और परिवार का शोक

इंदौर के व्यवसायी राजा रघुवंशी की हत्या के मामले में शिलांग जेल में बंद उनकी बहन सोनम रघुवंशी की दादी, गंगोटी बाई, का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। परिवार के सदस्यों के अनुसार, वह अपनी पोती की गतिविधियों के बारे में जानकर गहरे सदमे में थीं। इससे पहले, सोनम के कथित प्रेमी राज की दादी भी 18 जून को सदमे के कारण चल बसी थीं। गंगोटी बाई की तबीयत उनकी पोती के कृत्य की जानकारी के बाद से लगातार बिगड़ती जा रही थी, और अंततः उन्होंने अंतिम सांस ली।


रक्षाबंधन पर गोविंद का दुख

रक्षाबंधन पर राखी भी नहीं बंधवा सका गोविंद

सोनम का भाई गोविंद इस रक्षाबंधन पर अपनी बहन से मिलने के लिए शिलांग जाने वाला था, लेकिन दादी की मृत्यु ने परिवार को गहरे दुख में डाल दिया। गोविंद ने कहा, "जब तक चार्जशीट दायर नहीं होती और सच सामने नहीं आता, मैं सोनम से मिलने नहीं जाऊंगा।" रक्षाबंधन के एक दिन पहले हुई इस घटना ने परिवार में शोक का माहौल बना दिया। गोविंद ने पहले शिलांग का दौरा किया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह जमानत के लिए गया था या नहीं।


जमानत याचिका का खारिज होना

जमानत याचिका खारिज, कानूनी जंग जारी

हाल ही में, शिलांग कोर्ट ने सोनम और राज की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। गोविंद को उम्मीद थी कि जब शिलाम जेम्स जैसे सह-आरोपियों को जमानत मिल गई, तो सोनम और राज को भी राहत मिल सकती है। हालांकि, राजा के परिवार ने वकील बदलकर कड़ी आपत्तियां दर्ज कीं, जिसके चलते दोनों की जमानत अर्जियां खारिज हो गईं।


गंगोटी बाई की मौत पर परिवार की चुप्पी

मौत के कारणों पर परिवार वाले चुप

गंगोटी बाई की मृत्यु के कारणों पर गोविंद का परिवार चुप्पी साधे हुए है। पहले मीडिया से मदद मांगने वाला परिवार अब दूरी बना रहा है। यह हत्याकांड और इसके परिणाम परिवारों के लिए दुख का सबब बन गए हैं.