इजरायल-ईरान संघर्ष: बैलिस्टिक मिसाइलों की भूमिका और वैश्विक प्रभाव

इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव
बैलिस्टिक मिसाइल: रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, इजरायल और ईरान के बीच सैन्य टकराव पश्चिम एशिया में अस्थिरता का नया केंद्र बन गया है। दोनों देशों के बीच तनाव शुक्रवार, 20 जून 2025 को चरम पर पहुंच गया, जब इजरायल ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हवाई हमले किए। इसके जवाब में, ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया। इस संघर्ष में पहली बार क्लस्टर बमों का उपयोग किया गया, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई। इस बीच, बैलिस्टिक मिसाइलों की ताकत, रेंज और क्षमता पर वैश्विक चर्चा तेज हो गई है।
बैलिस्टिक मिसाइल क्या होती है?
यह जानना आवश्यक है कि दुनिया में सबसे शक्तिशाली बैलिस्टिक मिसाइलें किन देशों के पास हैं और भारत का स्थान क्या है। बैलिस्टिक मिसाइलें लंबी दूरी की हथियार प्रणालियाँ होती हैं, जो रॉकेट द्वारा संचालित होती हैं और एक घुमावदार प्रक्षेप पथ का अनुसरण करती हैं। ये मिसाइलें परमाणु, रासायनिक या पारंपरिक हथियार ले जा सकती हैं। अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM), जिनकी रेंज 5,500 किलोमीटर से अधिक होती है, विशेष रूप से रणनीतिक महत्व की होती हैं। ये मिसाइल मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक से लैस होती हैं, जो एक ही मिसाइल से कई लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता प्रदान करती हैं।
रूस के पास बैलिस्टिक मिसाइलों की ताकत
रूस की RS-28 सरमत (NATO कोड: शैतान II) को 2025 तक दुनिया की सबसे शक्तिशाली और लंबी दूरी की ICBM माना जाता है। इसकी विशेषताएँ इसे अत्यधिक खतरनाक बनाती हैं। रूस के पास RS-24 यार्स (12,000 किमी रेंज, 10 MIRV) और R-36M2 (11,000 किमी रेंज) जैसी अन्य उन्नत मिसाइलें भी हैं, जो इसकी सामरिक ताकत को और बढ़ाती हैं। रूस के पास 286 ICBM हैं, जो 958 परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं। हाल ही में, रूस ने यूक्रेन युद्ध में ओरेशनिक नामक एक नई मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का उपयोग किया, जो RS-26 ICBM पर आधारित है।
अमेरिका की बैलिस्टिक मिसाइलें
अमेरिका के पास मुख्य आईसीबीएम के रूप में एलजीएम-30जी मिनटमैन III है, जो साइलो-आधारित है और इसकी रेंज 13,000 किलोमीटर है। यह MIRV तकनीक से लैस है और 405 मिसाइलों के साथ अमेरिकी सामरिक बल की रीढ़ है। इसके अलावा, 12,000 किलोमीटर की रेंज वाला यूजीएम-133 ट्राइडेंट II (एसएलबीएम) अमेरिकी और ब्रिटिश नौसेना का हिस्सा है।
भारत की बैलिस्टिक मिसाइलों की स्थिति
भारत के पास अग्नि-V ICBM है, जिसकी रेंज 7,000-10,000 किलोमीटर है। यह एक सड़क और रेल-मोबाइल मिसाइल है, जो MIRV तकनीक से लैस है। 12 मार्च, 2024 को इसके सफल परीक्षण ने भारत को ऐसी मिसाइल रखने वाले चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर दिया है। इसके अलावा, अग्नि-VI (8,000-12,000 किलोमीटर) और सूर्या (12,000-16,000 किलोमीटर) का विकास किया जा रहा है। के-5 और के-6 एसएलबीएम (6,000-12,000 किमी) भारत की परमाणु तिकड़ी को मजबूत करेंगे। भारत का पृथ्वी डिफेंस व्हीकल मार्क-II आईसीबीएम को रोकने में सक्षम है।