इजरायल ने सोमालिलैंड को दी स्वतंत्रता की मान्यता, सोमालिया में बढ़ा तनाव
इजरायल की नई कूटनीतिक पहल
तेल अवीव: इजरायल ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम उठाते हुए स्वयं घोषित रिपब्लिक ऑफ सोमालिलैंड को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का निर्णय लिया है। इस कदम को हॉर्न ऑफ अफ्रीका की राजनीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जिससे सोमालिया के साथ इजरायल के संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना है। सोमालिलैंड की जनसंख्या मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम है।
नेतन्याहू का बयान
इजरायल: प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इस मान्यता के साथ, इजरायल सोमालिलैंड के साथ कृषि, स्वास्थ्य, तकनीकी और आर्थिक क्षेत्रों में तात्कालिक सहयोग आरंभ करेगा। उन्होंने सोमालिलैंड के राष्ट्रपति अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाही को बधाई दी और उनके नेतृत्व की सराहना की, साथ ही उन्हें इजरायल की यात्रा का निमंत्रण भी दिया। नेतन्याहू ने इस निर्णय को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर हुए अब्राहम समझौतों की भावना से जोड़ा।
संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर
इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार और सोमालिलैंड के राष्ट्रपति ने आपसी मान्यता से संबंधित एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। राष्ट्रपति अब्दुल्लाही ने कहा कि सोमालिलैंड अब्राहम समझौतों में शामिल होगा, और यह कदम क्षेत्रीय तथा वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
सोमालिया और अफ्रीकी संघ की प्रतिक्रिया
इस निर्णय पर सोमालिया और अफ्रीकी संघ ने कड़ी आपत्ति जताई है। सोमालिया के प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसे देश की संप्रभुता पर सीधा हमला बताया और कहा कि संघीय सरकार अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कूटनीतिक, राजनीतिक और कानूनी कदम उठाएगी।
मिस्र की चिंता
मिस्र ने भी इस घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्री बद्र अब्देलात्ती ने सोमालिया, तुर्की और जिबूती के विदेश मंत्रियों से बातचीत की और स्थिति पर चर्चा की। मिस्र के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इन देशों ने सोमालिया की एकता और क्षेत्रीय अखंडता के समर्थन को दोहराया और अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने को अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बताया।
अफ्रीकी संघ की स्थिति
अफ्रीकी संघ ने स्पष्ट किया है कि वह सोमालिलैंड को मान्यता देने के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं करता और सोमालिया की एकता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। संघ ने चेतावनी दी है कि इस तरह के निर्णय पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में शांति और स्थिरता को कमजोर कर सकते हैं।
सोमालिलैंड की स्थिति
यह ध्यान देने योग्य है कि सोमालिलैंड 1991 से व्यावहारिक रूप से स्वायत्त और अपेक्षाकृत स्थिर रहा है, लेकिन अब तक इसे किसी भी देश से औपचारिक मान्यता नहीं मिली थी। सोमालिलैंड को उम्मीद है कि इजरायल के इस कदम के बाद अन्य देश भी आगे आएंगे और उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान मिलेगी।
