इज़राइल की आक्रामकता: क्या यह सुरक्षा या स्थायी संघर्ष की ओर ले जा रही है?

इज़राइल की स्थिति
दुनिया भर में राजनीतिक हलचल जारी है। वैश्विक स्तर पर घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं, लेकिन इज़राइल एक ऐसा देश है जो अपनी स्थिति पर अडिग बना हुआ है। उसकी आँखों में दृढ़ता है और वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय आलोचना की परवाह नहीं करता।
इज़राइल की आक्रामकता लगातार बढ़ रही है। यह एक ऐसी स्थिति में है, जहां उसकी जिद अब कई लोगों को निर्दयी और अहंकारी लगने लगी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी और उदासीनता ने इस स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।
गज़ा में स्थिति
2023 में, इज़राइल के प्रति सहानुभूति अब भय का कारण बन चुकी है। पहले जो खुद डरता था, अब दूसरों में डर पैदा कर रहा है। हमास के हमले के डेढ़ साल बाद, इज़राइल ने गज़ा में गोलियों की बौछार के साथ सीरिया के दमिश्क तक पहुँचने का प्रयास किया है।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू की नजरें ईरान पर हैं, लेकिन उनका अंतिम लक्ष्य स्पष्ट नहीं है। क्या उनका इरादा आतंकवाद को समाप्त करना है, या वे पूरे समुदायों को मिटाने की सोच रहे हैं?
गज़ा में मानवीय संकट
गज़ा में स्थिति बेहद गंभीर है। हाल ही में 32 फ़िलस्तीनी नागरिकों की हत्या की गई, जिसमें अधिकांश युवा थे। चश्मदीदों ने इसे नरसंहार बताया है। गज़ा में 20 लाख से अधिक लोग विनाशकारी मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं।
इज़राइल की ओर से एक 'पुनर्वास योजना' का प्रस्ताव दिया गया है, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री ने 'कंसन्ट्रेशन कैंप' कहा है।
ईरान के खिलाफ इज़राइल की कार्रवाई
एक महीने पहले, इज़राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया था। यह कदम रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, क्योंकि ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा इज़राइल के लिए खतरा बनी हुई है।
इज़राइल ने समय की नब्ज़ पहचानी और ईरान पर हमला किया, जबकि भारत ने पाकिस्तान के परमाणु विकास को रोकने में असफलता दिखाई।
भविष्य की चुनौतियाँ
हालांकि इज़राइल-ईरान संघर्ष फिलहाल थमा हुआ है, लेकिन यह कभी भी फिर से भड़क सकता है। नेतन्याहू की युद्धप्रिय छवि और चुनावी रणनीतियाँ इस स्थिति को और जटिल बना सकती हैं।
इज़राइल को यह समझना होगा कि क्या उसकी आक्रामकता वास्तव में उसकी सुरक्षा को बढ़ा रही है, या वह खुद को और पूरे क्षेत्र को स्थायी संघर्ष में धकेल रहा है।