इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में सामान्य गलतियाँ जो रिफंड को रोक सकती हैं

आईटीआर फाइलिंग में ध्यान देने योग्य बातें
नई दिल्ली - देश में अब तक 6.7 करोड़ से अधिक करदाता अपने इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) जमा कर चुके हैं, और इनमें से कई लोग रिफंड का इंतजार कर रहे हैं। कभी-कभी आईटीआर भरने के बावजूद रिफंड समय पर नहीं मिलता, जिसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इस लेख में हम उन कारणों पर चर्चा करेंगे।
ई-वेरिफिकेशन की अनदेखी: आईटीआर को केवल जमा करना ही काफी नहीं है; इसे फाइलिंग के 30 दिनों के भीतर वेरीफाई करना भी आवश्यक है। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपका रिफंड रुक सकता है। कई मामलों में करदाताओं को 5,000 रुपए तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
एआईएस डेटा की अनदेखी: एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (एआईएस) में आपकी आय, बैंक खाते और निवेश की सभी महत्वपूर्ण जानकारी होती है। यदि एआईएस डेटा और आईटीआर में दी गई जानकारी में अंतर है, तो आपका रिफंड रुक सकता है। इसके साथ ही, इनकम टैक्स विभाग आपको नोटिस भी भेज सकता है। इसलिए, आईटीआर फाइल करते समय एआईएस से मिलान करना बहुत जरूरी है।
गलत आईटीआर फॉर्म का चयन: इनकम टैक्स विभाग विभिन्न प्रकार के आईटीआर फॉर्म जारी करता है, जो करदाताओं की आय और व्यवसाय के अनुसार होते हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर 1, आईटीआर 2, आईटीआर 3, आईटीआर 4, आईटीआर 5, आईटीआर 6 और आईटीआर 7 उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए, 50 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को आईटीआर फॉर्म 1 भरना होता है, जबकि व्यवसाय से 50 लाख रुपए तक की आय वाले व्यक्तियों को आईटीआर फॉर्म 4 भरना चाहिए। यदि कोई करदाता गलत फॉर्म का चयन करता है, तो उसका रिफंड भी रुक सकता है।