ईडी ने सीपीएम को बनाया आरोपी, चुनावी बॉंड पर उठे सवाल

सीपीएम पर लगे आरोप
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आम आदमी पार्टी के बाद अब केरल में सीपीएम को भी आरोपी ठहराया है। ईडी का कहना है कि सीपीएम ने अवैध तरीके से अर्जित धन का उपयोग पार्टी के कार्यों के लिए किया है, जिससे वह दोषी मानी जाती है। इसी तरह के आरोप आम आदमी पार्टी पर भी लगाए गए थे।
इस स्थिति में एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है: यदि अवैध धन का उपयोग पार्टी के कार्यों में किया जाता है, तो क्या इससे केवल नेता ही नहीं, बल्कि पूरी पार्टी भी आरोपी बनती है? यदि ऐसा है, तो भारतीय जनता पार्टी, जो देश की सबसे बड़ी पार्टी है और पिछले 11 वर्षों से सत्ता में है, कैसे बचेगी? क्या अन्य राजनीतिक दल भी इसी तरह के आरोपों से बच पाएंगे? इन सवालों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉंड को असंवैधानिक ठहराए जाने के संदर्भ में देखना आवश्यक है।
भाजपा को चुनावी बॉंड के माध्यम से सबसे अधिक चंदा प्राप्त हुआ है, जिसका उपयोग उसने पार्टी कार्यालयों के निर्माण से लेकर चुनावों में भाग लेने तक किया है।
याद रहे कि पिछले साल फरवरी में, लोकसभा चुनाव से पहले, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉंड से चंदा लेने के कानून को असंवैधानिक करार दिया था। सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा था कि चुनावी बॉंड के माध्यम से प्राप्त चंदे की गोपनीयता न केवल सूचना के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकारों का भी हनन है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया और चुनावी बॉंड से प्राप्त चंदे को जब्त करने का आदेश भी नहीं दिया। हाल ही में दायर याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। फिर भी, यह सवाल बना हुआ है कि यदि किसी अवैध या असंवैधानिक गतिविधि से प्राप्त धन का उपयोग पार्टी के कार्यों में किया जाता है, तो क्या सभी पार्टियों को भी आरोपी नहीं ठहराया जाना चाहिए?