ईरान-इजराइल संघर्ष: वैश्विक प्रतिक्रिया और भारत की स्थिति

ईरान-इजराइल युद्ध की स्थिति
ईरान-इजराइल संघर्ष: इजराइल ने शुक्रवार (13 जून) को तेहरान में परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिसके जवाब में ईरान ने तेल अविव की ओर बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं। इजराइली रक्षा बल (आईडीएफ) इस पर प्रतिक्रिया दे रहा है।
भारत की तटस्थता
इस संघर्ष के चलते मध्य पूर्व में तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसका प्रभाव भारत सहित पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले में तटस्थ रहेगा। यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि भारत के करीबी सहयोगी जैसे रूस, सऊदी अरब, अमेरिका, फ्रांस और कतर इस पर क्या रुख अपनाते हैं।
अमेरिका का समर्थन
अमेरिका खुलकर इजराइल का समर्थन कर रहा है
डोनाल्ड ट्रंप ईरान-इजराइल युद्ध में इजराइल के साथ खड़े हैं। हालांकि, अमेरिका ईरान के प्रति सख्त नहीं है, क्योंकि ट्रंप ईरान के साथ परमाणु समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच आठवें दौर की वार्ता 15 जून को ओमान में प्रस्तावित है, लेकिन यह अब अनिश्चितता में है।
सऊदी अरब की स्थिति
सऊदी अरब फिलहाल ईरान के पक्ष में है
सऊदी अरब ईरान के साथ खड़ा नजर आ रहा है, लेकिन वह इजराइल का खुलकर विरोध नहीं करता। सऊदी अरब ने हमेशा इस संघर्ष में तटस्थता बनाए रखी है, इसलिए यदि युद्ध बढ़ता है, तो यह देखना होगा कि वह किसका समर्थन करेगा।
रूस का रुख
रूस भी ईरान के साथ है
रूस, जो भारत का करीबी मित्र है, ईरान का समर्थन कर रहा है। हालांकि, पुतिन दोनों देशों के बीच शांति समझौता कराने की कोशिश कर रहे हैं और संयम बरतने की अपील कर रहे हैं। यूक्रेन मुद्दे पर ट्रंप और पुतिन के बीच भी मतभेद हैं।
फ्रांस की तटस्थता
फ्रांस की बात करे तो भारत की तरह तटस्थ है
फ्रांस ईरान और इजराइल के बीच हालिया तनाव के लिए दोनों को समान रूप से जिम्मेदार मानता है। उसने ईरान से अमेरिका के साथ बातचीत कर इस मुद्दे को सुलझाने की अपील की है, लेकिन उसका झुकाव इजराइल की ओर माना जा रहा है।
कतर की स्थिति
इजराइल के खिलाफ कतर
कतर ने इस युद्ध के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन वह खुद को शांति का पक्षधर दिखाना चाहता है। यदि ईरान-इजराइल युद्ध बढ़ता है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि कतर किसका समर्थन करता है।