ईरान-इज़राइल संघर्ष: अमेरिका की एयरस्ट्राइक से मिडिल ईस्ट में बढ़ा तनाव

मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव
ईरान और इज़राइल के बीच चल रही लड़ाई अब वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन गई है। अमेरिका ने ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु स्थलों, जिसमें फोर्डो भी शामिल है, पर हवाई हमले करने का दावा किया है। इसके बाद, सुरक्षा परिषद की बैठक आयोजित की गई, जिसमें अमेरिका की इस कार्रवाई पर तीखी बहस हुई। रूस, चीन और पाकिस्तान ने इस हमले की कड़ी निंदा की, जबकि इज़राइल और अमेरिका ने इसे आवश्यक और 'वैश्विक सुरक्षा' के लिए महत्वपूर्ण बताया।
रूस की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत सीली नेबेन्जया ने अमेरिका के हमले को 'भानुमती का पिटारा' खोलने जैसा बताया। उन्होंने कहा कि रूस ने मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अमेरिका ने बातचीत में रुचि नहीं दिखाई। नेबेन्जया ने चेतावनी दी कि इस कदम से मिडिल ईस्ट में नई आपदाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
चीन की अपील
चीन के राजदूत फू कांग ने अमेरिकी हमले की कड़ी आलोचना करते हुए तुरंत युद्धविराम की मांग की। उन्होंने कहा कि ईरान-इज़राइल संघर्ष वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की।
पाकिस्तान का समर्थन
UNSC में पाकिस्तान के राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि अमेरिका का हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। पाकिस्तान ईरान की जनता और सरकार के साथ एकजुटता से खड़ा है।
ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान के प्रतिनिधि अमीर सईद इरावानी ने अमेरिका पर युद्ध थोपने और कूटनीति को नष्ट करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इज़राइल ने झूठे दावे किए हैं कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के करीब है। ईरानी सेना अब तय करेगी कि जवाब कब और कैसे दिया जाए।
इज़राइल का दृष्टिकोण
इज़राइल के प्रतिनिधि डैनी डैनन ने कहा कि जब अन्य देश चुप थे, तब ट्रंप ने साहसिक कदम उठाया। उन्होंने कहा कि ईरान बातचीत का उपयोग मिसाइल निर्माण और यूरेनियम संवर्धन के लिए कर रहा था। अब और इंतजार नहीं किया जा सकता।
ब्रिटेन की स्थिति
ब्रिटेन ने इस घटनाक्रम को मिडिल ईस्ट के लिए एक 'टर्निंग पॉइंट' बताया। ब्रिटिश राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने ईरान से संयम बरतने और अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी के साथ सहयोग बढ़ाने की अपील की।
अमेरिका का उद्देश्य
अमेरिका की ओर से डोरोथी शीया ने कहा कि एयरस्ट्राइक का उद्देश्य बढ़ते खतरे को रोकना था। उन्होंने आरोप लगाया कि ईरान पिछले 40 वर्षों से अमेरिका और इज़राइल के खिलाफ हिंसा भड़का रहा है और शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है।