ईरान-इज़राइल संघर्ष: क्या होर्मुज जलडमरूमध्य का बंद होना वैश्विक संकट लाएगा?

ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ता तनाव
ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे संघर्ष ने वैश्विक तनाव को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। पिछले 10 दिनों से दोनों पक्षों में कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। इस बीच, अमेरिका ने भी इस मामले में सक्रियता दिखाई है, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई है। अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद, ईरानी संसद ने 22 जून 2025 को होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए अंतिम निर्णय अभी बाकी है, लेकिन यह कदम पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है।
होर्मुज जलडमरूमध्य का महत्व
होर्मुज जलडमरूमध्य एक संकरा समुद्री मार्ग है, जो पर्शियन गल्फ को अरब सागर से जोड़ता है। इसे विश्व की सबसे व्यस्त तेल शिपिंग लेन माना जाता है, जहां से प्रतिदिन लगभग 2 करोड़ बैरल तेल गुजरता है। भारत और चीन जैसे देशों के लिए यह जलमार्ग 'तेल की नाड़ी' के रूप में कार्य करता है। यदि यह मार्ग बंद होता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
भारत की तैयारी
जबकि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हलचल शुरू हो गई है, भारत के केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि देश के पास कई हफ्तों का तेल भंडार है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने पहले ही वैकल्पिक स्रोतों की तलाश शुरू कर दी है। हालांकि, यदि स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो भारतीय बाजार भी प्रभावित हो सकता है।
चीन की ऊर्जा सुरक्षा पर खतरा
ईरान के इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव चीन पर पड़ सकता है। अमेरिका की ऊर्जा सूचना एजेंसी (EIA) के अनुसार, चीन 2024 में प्रतिदिन 11.1 मिलियन बैरल तेल आयात करता था, जिसमें से लगभग 45% तेल होर्मुज जलडमरूमध्य से आता है। चीन की ऊर्जा सुरक्षा इस जलमार्ग पर अत्यधिक निर्भर है। यदि यह बंद होता है, तो चीन की उद्योग, परिवहन और रक्षा आपूर्ति पर गंभीर असर पड़ेगा।
अमेरिका की प्रतिक्रिया
ईरानी संसद के प्रस्ताव के बाद, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि वे इस मुद्दे पर चीन के साथ बातचीत करेंगे। उन्होंने बताया कि चीन इस खाड़ी पर अत्यधिक निर्भर है और यह वैश्विक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण मामला है।