उत्तर प्रदेश में जातीय राजनीति: पंकज चौधरी का बयान और उसके प्रभाव
जातीय विभाजन की गहराई
राजनीतिक निर्णयों और बयानों के पीछे साजिशों की थ्योरी का विश्लेषण पहले भी किया जाता रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में भाजपा की राजनीति में जातीय विभाजन इतना गहरा हो गया है कि हर बयान, निर्णय, नियुक्ति और पुलिस की कार्रवाई के पीछे राजनीतिक कारणों की खोज की जाती है। नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी द्वारा ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर दिए गए बयान के बाद इस विषय पर चर्चा तेज हो गई है।
पिछले हफ्ते विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान पूर्वांचल के विधायक पंचानंद पाठक के घर पर ब्राह्मण विधायकों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें 40 से अधिक ब्राह्मण विधायक शामिल हुए। यह बैठक अगस्त में राजपूत विधायकों की बैठक के समान थी, जिसमें 40 से अधिक राजपूत विधायक एकत्र हुए थे। हालांकि, पंकज चौधरी ने ब्राह्मण विधायकों को चेतावनी देकर और अनुशासनहीनता की कार्रवाई की धमकी देकर इस मामले को और भड़का दिया।
साजिश थ्योरी का जन्म
पंकज चौधरी के बयान के बाद साजिश थ्योरी की चर्चा शुरू हो गई है। कुछ लोग मानते हैं कि भले ही यह दिखता है कि नए प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए ब्राह्मण विधायकों को चेतावनी दी, लेकिन असल में उनका उद्देश्य ब्राह्मणों को भड़काकर वोट का नुकसान करना है। यह भी कहा जा रहा है कि पंकज चौधरी का मुख्यमंत्री के साथ कभी अच्छा संबंध नहीं रहा है।
इस स्थिति में सवाल उठता है कि क्या पंकज चौधरी ने ब्राह्मण विधायकों को चेतावनी देकर इस धारणा को बदलने का प्रयास किया? लखनऊ से दिल्ली तक लोग हैरान हैं कि उनका असली मकसद क्या था।
पंकज चौधरी की मुश्किलें
हालांकि, नए अध्यक्ष महोदय खुद मुश्किल में फंस गए हैं। उनके पुराने बयान और कार्यक्रमों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की जा रही हैं, जिसमें उन्होंने कुर्मी समाज की बातें की हैं। भाजपा के करीबी समर्थक माने जाने वाले ब्राह्मण पत्रकार भी अब अपनी पहचान को लेकर आक्रामक हो गए हैं।
इस स्थिति में पंकज चौधरी से पूछा जा रहा है कि क्या भाजपा जाति की बात नहीं करेगी और जातीय रैलियों का समर्थन नहीं करेगी। वे भाजपा को सर्व समाज की पार्टी बता रहे हैं, लेकिन पार्टी को नुकसान पहुंचा चुके हैं। इस बीच, मायावती इस मौके का लाभ उठाने के लिए ब्राह्मण भाईचारा बैठकों की शुरुआत करने वाली हैं।
