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उत्तर प्रदेश में डीजल ऑटो रिक्शा पर प्रतिबंध, प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम

उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नोएडा और गाजियाबाद में डीजल ऑटो रिक्शा पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। यह कदम प्रदूषण से निपटने के लिए एक व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसमें अन्य जिलों में भी डीजल ऑटो को हटाने की योजना है। जानें इस फैसले के पीछे की वजह और सरकार की अन्य योजनाएं।
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उत्तर प्रदेश में डीजल ऑटो रिक्शा पर प्रतिबंध, प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम

एनसीआर में प्रदूषण के खिलाफ सख्त कदम

नोएडा/गाजियाबाद: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। प्रदूषण को कम करने के लिए, नोएडा और गाजियाबाद में डीजल से चलने वाले ऑटो रिक्शा पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है। अधिकारियों ने शनिवार को इस बात की पुष्टि की कि यूपी सरकार ने एनसीआर के यूपी क्षेत्र में डीजल वाहनों के उत्सर्जन को रोकने के लिए यह आदेश जारी किया है, जिसके तहत इन दो प्रमुख शहरों में डीजल ऑटो अब सड़कों पर नहीं चल सकेंगे।


यह कदम प्रदूषण नियंत्रण के लिए तैयार किए गए एक व्यापक कार्य योजना का हिस्सा है। प्रशासन ने केवल नोएडा और गाजियाबाद नहीं, बल्कि एनसीआर के अन्य जिलों के लिए भी समयसीमा निर्धारित की है। आदेश के अनुसार, बागपत जिले में भी इस साल के अंत तक यानी 31 दिसंबर 2025 के बाद डीजल ऑटो पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके अलावा, मेरठ रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने पहले से ही रोकी गई गाड़ियों के लिए परमिट जारी करना और पुराने परमिट का नवीनीकरण बंद कर दिया है, ताकि डीजल वाहनों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके।


सरकार की योजना है कि चरणबद्ध तरीके से पूरे एनसीआर को डीजल ऑटो मुक्त किया जाए। जारी बयान के अनुसार, अगले साल 31 दिसंबर तक मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में भी डीजल ऑटो रिक्शा पूरी तरह से बंद कर दिए जाएंगे। राज्य सरकार की विज्ञप्ति में बताया गया है कि इन क्षेत्रों में प्रदूषण का मुख्य कारण सड़क की धूल और वाहनों का धुआं है। इसलिए, डीजल ऑटो को हटाने के साथ-साथ सड़कों के पुनर्विकास, धूल को कम करने के उपायों और बड़े पैमाने पर सफाई अभियानों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इस प्रक्रिया को समन्वित तरीके से लागू करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।