उत्तर प्रदेश में नौकरशाही की मनमानी पर मंत्री का गंभीर आरोप

नौकरशाही की बेलगाम स्थिति
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में नौकरशाही की स्थिति अत्यंत चिंताजनक हो गई है। अधिकारी अपनी मनमर्जी से कार्य कर रहे हैं और नेताओं तथा मंत्रियों की बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं। हाल ही में, यूपी सरकार के प्रमुख मंत्री नंद गोपाल नंदी ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर अफसरशाही पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अधिकारियों पर निर्देशों का पालन न करने और अपने करीबी लोगों को अनुचित लाभ देने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, उन पर पत्रावलियों को गायब करने और नीतियों के खिलाफ निर्णय लेने के भी आरोप हैं। यह पहली बार नहीं है जब यूपी में किसी मंत्री ने नौकरशाही के खिलाफ आवाज उठाई है; इससे पहले भी कई नेताओं ने इसी तरह की शिकायतें की हैं, लेकिन बेलगाम अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे वे खुद को सुपरकॉप समझने लगे हैं।
अनियमितताओं की जांच के निर्देश
नंद गोपाल नंदी ने अपने पत्र में कुछ मामलों में हुई अनियमितताओं का उल्लेख किया है, जिसके लिए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। मंत्री के आरोपों की जांच के लिए निर्देश जारी किए गए हैं और मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी गई है। सूत्रों के अनुसार, मंत्री के आरोपों का ठोस जवाब शीर्ष स्तर के अधिकारियों द्वारा तैयार किया जा रहा है। पत्र में उन्होंने कहा कि अफसरशाही काम में बाधा डालने के लिए फाइलें मंगाकर उन्हें डंप कर रही है। इसके साथ ही, कई पत्रावलियों में ऐसे प्रस्ताव हैं, जो नियमों के खिलाफ होने के बावजूद अधिकारियों द्वारा पारित किए जा रहे हैं। कुछ लोगों को अनुचित लाभ देने के लिए नीतियों के विरुद्ध जाकर प्रस्ताव पारित किए गए हैं।
फाइलों की अनदेखी
निर्देशों की अवहेलना
नंद गोपाल नंदी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में नौकरशाहों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों से कई फाइलें बार-बार मांगने के बावजूद अधिकारियों ने नहीं दी हैं। इस पर विभाग में तैनात एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों ने मना किया है। मंत्री ने पिछले वर्ष 7 अक्टूबर को ऐसी मामलों की सूची सीएम कार्यालय भेजी थी। 29 अक्टूबर को एक हफ्ते के भीतर सभी फाइलों को पेश करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी फाइलें नहीं दी गईं। इसी तरह, विभाग में कामकाज का बंटवारा सक्षम स्तर से कराने के निर्देश तीन साल पहले दिए गए थे, लेकिन मामले की फाइल ही लापता हो गई।