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उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समाज का अखिलेश यादव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया विवाद तब उभरा जब समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री पर टिप्पणी की। इस बयान ने ब्राह्मण समुदाय को नाराज कर दिया, जिसके बाद बागपत में एक 'मिनी महापंचायत' आयोजित की गई। महापंचायत में यह तय किया गया कि ब्राह्मण समाज हरिद्वार से कांवड़ लेकर आएगा और अखिलेश यादव की तस्वीर पर गंगाजल चढ़ाएगा। इसके साथ ही, आगामी विधानसभा चुनाव में उनका राजनीतिक बहिष्कार करने का निर्णय भी लिया गया। यह विवाद आगे चलकर राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव डालेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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बागेश्वर धाम के कथावाचक पर टिप्पणी से उपजा विवाद

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया विवाद तब उभरा जब समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री पर टिप्पणी की। उनके इस बयान ने ब्राह्मण समुदाय को काफी नाराज कर दिया। बागपत के खेड़की गांव में आयोजित एक 'मिनी महापंचायत' में ब्राह्मण समाज ने इस मुद्दे पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।


महापंचायत में यह निर्णय लिया गया कि सावन के महीने में ब्राह्मण समाज हरिद्वार से कांवड़ लेकर आएगा और अखिलेश यादव की तस्वीर पर गंगाजल चढ़ाकर उनका "बुद्धि शुद्धीकरण" करेगा। यह कदम उनके बयान के खिलाफ विरोध जताने का प्रतीकात्मक तरीका होगा।


महापंचायत में उपस्थित दांडी स्वामी ने अखिलेश यादव के बयान को लक्ष्मण रेखा पार करने के रूप में देखा। उन्होंने कहा, "जो भी व्यक्ति लक्ष्मण रेखा लांघता है, उसका परिणाम हमेशा बुरा होता है। अगर जरूरत पड़ी तो हम संसद के बाहर लाठियां भी खा सकते हैं।"


इसके अलावा, यह भी तय किया गया कि ब्राह्मण समाज आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव का राजनीतिक बहिष्कार करेगा। समाज के इस वर्ग ने स्पष्ट किया कि ऐसे नेताओं को सीएम पद की जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए, जो संतों और ब्राह्मणों का अपमान करते हैं।


कुछ समय पहले, अखिलेश यादव ने इटावा में कथावाचक विवाद पर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कथावाचकों पर अत्यधिक फीस लेने का आरोप लगाया था। इस बयान पर कई ब्राह्मण संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद आगे चलकर राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव डालता है।