उत्तरकाशी में बादल फटने से तबाही: जानें क्या हुआ और क्या कहती है IIT की रिपोर्ट

उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना
Uttarkashi cloudburst: हाल ही में उत्तरकाशी जिले के नौगांव बाजार के स्योरी फल पट्टी में भारी बारिश के कारण बादल फटने की घटना ने व्यापक नुकसान पहुंचाया। एक आवासीय भवन मलबे में दब गया, जबकि आधा दर्जन से अधिक भवनों में पानी भर गया। देवलसारी गदेरे में एक मिक्चर मशीन और कुछ दोपहिया वाहन भी बह गए। इस घटना में एक कार भी मलबे में दब गई। खतरे को देखते हुए स्थानीय निवासियों ने अपने घरों को खाली कर सुरक्षित स्थानों पर जाने का निर्णय लिया।
नाला उफान पर, सड़कें और दुकानें प्रभावित
इससे पहले यह जानकारी मिली थी कि नौगांव के बीच बहने वाला नाला अत्यधिक बारिश के कारण उफान पर आ गया। इसके परिणामस्वरूप कई दुकानों और घरों में पानी भर गया और सड़क पर खड़े दोपहिया वाहन बह गए। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है।
पहले भी आई थी तबाही
उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त को बादल फटने से खीरगंगा में भीषण बाढ़ आई थी। इस घटना में चार लोगों की जान गई थी और कई लोग मलबे में दब गए थे। इसके अलावा, कई होटलों और आवासीय भवनों को भी भारी नुकसान हुआ था। यह घटनाक्रम स्थानीय लोगों में डर और चिंता का कारण बना है।
IIT रुड़की की शोध रिपोर्ट ने बढ़ाई चेतावनी
आईआईटी रुड़की के आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता उत्कृष्टता केंद्र के विशेषज्ञों ने उत्तराखंड के चार पर्वतीय जिलों में भूकंप से भूस्खलन के खतरे का विस्तृत अध्ययन किया है। यह शोध रिपोर्ट 2 अगस्त को एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुई थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिले भूकंप और उससे प्रेरित भूस्खलनों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
हिमालयी क्षेत्र में भूकंपीय संवेदनशीलता
आईआईटी रुड़की के अक्षत वशिष्ठ, शिवानी जोशी और श्रीकृष्ण सिवा सुब्रमण्यम ने इस अध्ययन में हिमालयी क्षेत्र की भूकंपीय गतिविधियों पर जोर दिया है। उनका कहना है कि यहां भूस्खलन की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं और भविष्य में भूकंप से प्रेरित भूस्खलन और भी बड़े नुकसान का कारण बन सकते हैं।
जिला-स्तरीय जोखिम जोनिंग का महत्व
इस अध्ययन की विशेषता यह है कि पहली बार उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में भूकंप से होने वाले भूस्खलनों का जिला-स्तरीय जोखिम जोनिंग की गई है। इस विश्लेषण में विभिन्न भूकंपीय तीव्रता परिदृश्यों और भूकंप की वापसी अवधि को ध्यान में रखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, सभी परिदृश्यों में रुद्रप्रयाग सबसे अधिक संवेदनशील पाया गया, इसके बाद पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी में भारी भूस्खलन की संभावना जताई गई है।
सुरक्षा और सावधानी की आवश्यकता
भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते खतरे के बीच, स्थानीय प्रशासन और नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट स्थानीय आपदा प्रबंधन नीतियों को सुदृढ़ करने और आपदा पूर्व चेतावनी प्रणालियों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके साथ ही, इस क्षेत्र में सतत निगरानी, आपदा तैयारी और आपातकालीन प्रतिक्रिया व्यवस्था को और मजबूत करना आवश्यक है।