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उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: हाईकोर्ट के आदेश से स्थगित हुई प्रक्रिया

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की नामांकन प्रक्रिया को नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश से स्थगित कर दिया गया है। अदालत ने राज्य सरकार को आरक्षण प्रक्रिया को विधिसम्मत तरीके से फिर से लागू करने का निर्देश दिया है। इस फैसले से चुनावी कार्यक्रम में बड़े बदलाव की संभावना है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में उम्मीदवारों और मतदाताओं के बीच अनिश्चितता उत्पन्न हो गई है। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय का चुनावी तैयारियों पर क्या असर पड़ेगा।
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उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: हाईकोर्ट के आदेश से स्थगित हुई प्रक्रिया

उत्तराखंड पंचायत चुनावों में नया मोड़

Uttarakhand Panchayat Election 2025: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना आई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने नैनीताल उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए पंचायत चुनावों की नामांकन प्रक्रिया और अन्य संबंधित गतिविधियों को अगले आदेश तक रोक दिया है। इस निर्णय ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी गतिविधियों को अस्थायी रूप से रोक दिया है।


उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को आरक्षण प्रक्रिया को विधिसम्मत और पारदर्शी तरीके से फिर से लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जब तक आरक्षण प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक चुनाव प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती। इस निर्णय का असर ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत चुनावों की तैयारियों पर पड़ा है।


पंचायत चुनावों का कार्यक्रम


राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनावों को दो चरणों में आयोजित करने की योजना बनाई थी। इस चुनाव के माध्यम से उत्तराखंड में 74,499 ग्राम प्रधान, 55,600 ग्राम पंचायत सदस्य, 2,974 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 358 जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव होना था। पहले चरण में 3 जुलाई को चिन्ह आवंटन और 10 जुलाई को मतदान प्रस्तावित था, जबकि दूसरे चरण में 8 जुलाई को चिन्ह वितरण और 15 जुलाई को मतदान होना था।


चुनावी तैयारियां और आचार संहिता


पंचायत चुनावों की घोषणा के बाद राज्य में तैयारियां तेज हो गई थीं। आचार संहिता लागू कर दी गई थी और सभी जिलों को निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई थीं, और उम्मीदवारों ने प्रचार और रणनीति बनाना शुरू कर दिया था। गांवों में चुनावी उत्साह अपने चरम पर था।


हाईकोर्ट के फैसले का प्रभाव


हाईकोर्ट के इस निर्णय ने पंचायत चुनावों के कार्यक्रम में बड़े बदलाव की संभावना को जन्म दिया है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जब तक आरक्षण प्रक्रिया सही तरीके से पूरी नहीं होती, तब तक चुनाव नहीं कराए जा सकते। इस आदेश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पंचायत चुनावों की तारीखों में बदलाव अनिवार्य है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में उम्मीदवारों और मतदाताओं के बीच अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।