उत्तराखंड पंचायत चुनावों पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

उत्तराखंड पंचायत चुनावों में रोक
उत्तराखंड पंचायत चुनाव: उत्तराखंड में होने वाले पंचायत चुनावों पर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। राज्य के उच्च न्यायालय ने चुनावों पर अस्थायी रोक लगा दी है और राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि आरक्षण प्रक्रिया को फिर से विधिसम्मत तरीके से पूरा किया जाए।
हाल ही में, राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनावों को दो चरणों में आयोजित करने की योजना बनाई थी। इस चुनाव के माध्यम से ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य का चुनाव होना था। कुल 74,499 ग्राम प्रधान, 55,600 ग्राम पंचायत सदस्य, 2,974 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 358 जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए मतदान होना था।
चुनाव कार्यक्रम की जानकारी
चुनाव कार्यक्रम के अनुसार
23 जून को जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा विस्तृत अधिसूचना जारी की जानी थी। नामांकन प्रक्रिया 25 से 28 जून तक चलनी थी। 29 जून से 1 जुलाई के बीच नामांकन पत्रों की जांच होनी थी और 2 जुलाई नाम वापसी की अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी।
प्रथम चरण में 3 जुलाई को चिन्ह आवंटन और 10 जुलाई को मतदान का कार्यक्रम था। वहीं, दूसरे चरण में 8 जुलाई को चिन्ह वितरण और 15 जुलाई को मतदान होना था। दोनों चरणों की मतगणना 18 जुलाई को होने की योजना थी।
आचार संहिता और चुनावी तैयारियां
आचार संहिता लागू, तैयारियां जोरों पर थीं
राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनावों के लिए तैयारियों को तेज कर दिया था। आचार संहिता लागू कर दी गई थी और जिलों को निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ गई थीं, और गांवों में प्रचार और रणनीति बनाने का दौर शुरू हो गया था।
हाईकोर्ट के फैसले का प्रभाव
हाईकोर्ट के फैसले का असर
अब हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से चुनाव कार्यक्रम में महत्वपूर्ण बदलाव संभव है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जब तक आरक्षण प्रक्रिया को सही तरीके से दोबारा पूरा नहीं किया जाता, तब तक चुनाव नहीं कराए जा सकते। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि आगामी पंचायत चुनावों की तारीखों में बदलाव किया जाएगा।