उत्तराखंड हाईकोर्ट का मदरसों के लिए नया आदेश: बिना पंजीकरण वाले संस्थानों पर कार्रवाई

उत्तराखंड हाईकोर्ट का निर्देश
Uttarakhand High Court: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में बिना पंजीकरण के चल रहे मदरसों के संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिन मदरसों को मदरसा बोर्ड से अनुमति नहीं मिली है, वे अपने नाम में 'मदरसा' शब्द का उपयोग नहीं कर सकते। यदि ऐसे संस्थान 'मदरसा' शब्द का प्रयोग करते हुए पाए गए, तो जिला प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
सील किए गए मदरसों को राहत
सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जिन मदरसों को पहले सील किया गया था, उनकी सील को खोला जाए। यह निर्णय उन संस्थानों के लिए राहत का कारण बन सकता है, जो पंजीकरण की प्रक्रिया में हैं या अन्य नियमों का पालन कर रहे हैं। कोर्ट का यह आदेश उन शिक्षण संस्थानों के लिए एक सख्त संदेश है जो बिना वैधानिक अनुमति के संचालित हो रहे हैं।
मामले का विवरण
क्या है पूरा मामला?
उत्तराखंड में लंबे समय से बिना पंजीकरण के चल रहे मदरसों को लेकर विवाद चल रहा था। कई संस्थानों ने मदरसा बोर्ड के नियमों का पालन किए बिना अपने नाम में 'मदरसा' शब्द का उपयोग किया, जिसके खिलाफ याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल वही संस्थान 'मदरसा' शब्द का उपयोग कर सकते हैं, जो मदरसा बोर्ड में विधिवत पंजीकृत हों। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे संस्थानों को अपने नाम से 'मदरसा' शब्द हटाना होगा.
शैक्षिक गतिविधियों को जारी रखने का अवसर
हाईकोर्ट ने उन मदरसों को राहत दी है, जिन्हें प्रशासन द्वारा सील कर दिया गया था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इन संस्थानों की सील खोली जाए, ताकि वे अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकें और नियमों का पालन कर पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी कर सकें। यह कदम उन संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण है, जो शैक्षिक गतिविधियों को जारी रखना चाहते हैं.