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उपराष्ट्रपति चुनाव: एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को बनाया प्रत्याशी

भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होने वाले हैं, जिसमें एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि राधाकृष्णन कल नामांकन दाखिल करेंगे। इस चुनाव में एनडीए की स्थिति मजबूत नजर आ रही है, जबकि विपक्ष की ओर से अभी तक कोई उम्मीदवार सामने नहीं आया है। जानें लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए की स्थिति और चुनाव की संभावनाएं।
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उपराष्ट्रपति चुनाव: एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को बनाया प्रत्याशी

उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी


9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव, एनडीए का प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन


भारत में उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 9 सितंबर को आयोजित होंगे। एनडीए ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक में सर्वसम्मति से सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार चुना है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि राधाकृष्णन कल नामांकन दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं और उपराष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं।


सत्ता पक्ष का प्रत्याशी, विपक्ष की स्थिति अस्पष्ट

एनडीए ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है, जबकि विपक्ष की ओर से अभी तक किसी भी उम्मीदवार का नाम सामने नहीं आया है। बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए अपनी रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है और विपक्ष से समर्थन मांगने की कोशिश की है। इस बीच, यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि किस गठबंधन का प्रत्याशी चुनाव में सफल हो सकता है।


लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए की स्थिति

उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों की संख्या पर ध्यान देना आवश्यक है। लोकसभा में कुल 543 सांसद हैं, लेकिन वर्तमान में 542 सांसद निर्वाचित हैं। राज्यसभा में 245 सीटें हैं, जिनमें से 6 सीटें खाली हैं। इस प्रकार, दोनों सदनों में कुल 781 सांसद हैं, जिनमें से किसी भी गठबंधन को जीतने के लिए 391 वोटों की आवश्यकता होगी।


एनडीए को मिल रही बढ़त

बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में घोषित करके विपक्ष पर बढ़त बना ली है। एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों में पर्याप्त संख्या है, जिसमें 427 सांसद हैं। इसके अलावा, विपक्ष के कई दल भी एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन कर सकते हैं। इतिहास यह दर्शाता है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी सांसदों को एकजुट रखना कठिन होता है।