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उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA की जीत ने विपक्ष की एकता को चुनौती दी

उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत ने विपक्षी INDIA गठबंधन के भीतर गंभीर संकट को जन्म दिया है। बी सुदर्शन रेड्डी को अपेक्षित वोट नहीं मिले, जिससे विपक्ष की एकता पर सवाल उठने लगे हैं। जानें इस चुनाव के परिणामों का क्या प्रभाव पड़ा और किन पार्टियों पर संदेह जताया जा रहा है।
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चुनाव परिणामों का प्रभाव

उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत पहले से ही अपेक्षित थी। लेकिन चुनाव के परिणामों ने विपक्षी INDIA गठबंधन के भीतर गंभीर संकट को उजागर किया। हार से अधिक चिंता उस विश्वास की है जो विपक्ष अपने सांसदों पर करता था।

विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को केवल 300 वोट मिले, जबकि अनुमान था कि उन्हें 315 से 324 वोट मिलेंगे। इसका मतलब है कि कम से कम 15 वोट NDA के पक्ष में गए या जानबूझकर अमान्य कर दिए गए।


पार्टी व्हिप का न होना

उपराष्ट्रपति चुनाव की एक विशेषता यह है कि इसमें पार्टी व्हिप लागू नहीं होता, जिससे सांसदों के लिए क्रॉस वोटिंग करना आसान हो जाता है। यही कारण है कि विपक्षी एकता केवल दिखावे तक सीमित रह गई और कई सांसदों ने NDA के उम्मीदवार को वोट दिया।


विपक्ष में उठे सवाल

हार के बाद विपक्षी खेमे में हलचल मच गई है। आम आदमी पार्टी, महाराष्ट्र की शिवसेना (UBT) और एनसीपी (शरद पवार गुट) पर सबसे अधिक संदेह जताया जा रहा है। इसके अलावा राजस्थान और तमिलनाडु के कुछ सांसदों पर भी चर्चा हो रही है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मतदान के तुरंत बाद कहा था कि विपक्षी दलों की 100% उपस्थिति रही और 315 सांसदों ने वोट डाला। लेकिन नतीजों ने उस विश्वास को महज दो घंटे में तोड़ दिया।


चुनाव के आंकड़े

मतदान के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 781 सांसदों में से 767 ने वोट डाला। इनमें से 752 वोट वैध पाए गए, जबकि 15 को अवैध घोषित किया गया। जीत के लिए न्यूनतम 377 वोटों की आवश्यकता थी। सीपी राधाकृष्णन ने यह आंकड़ा आसानी से पार कर लिया, जबकि विपक्षी उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी केवल 300 वोटों पर सिमट गए।