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उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के संभावित उम्मीदवारों की चर्चा तेज़

नई दिल्ली में उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज़ हो गई है। भारतीय जनता पार्टी के भीतर संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा चल रही है, जिसमें शेषाद्रि चारी और आचार्य देवव्रत जैसे नाम शामिल हैं। एनडीए की मजबूत स्थिति के चलते यह चुनाव एक औपचारिकता के रूप में देखा जा रहा है। जानें, कौन हो सकता है बीजेपी का अगला उपराष्ट्रपति उम्मीदवार।
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नई दिल्ली की सियासत में हलचल

नई दिल्ली में उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। जैसे-जैसे नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त नजदीक आ रही है, भारतीय जनता पार्टी के भीतर संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा बढ़ रही है। एनडीए की स्थिति इस बार काफी मजबूत है, क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा दोनों में उसे पर्याप्त समर्थन प्राप्त है। खास बात यह है कि राज्यसभा में एनडीए को न केवल बहुमत हासिल है, बल्कि कई मनोनीत सदस्य भी औपचारिक रूप से बीजेपी का हिस्सा बन चुके हैं। इस स्थिति में, यह चुनाव एक औपचारिकता के रूप में देखा जा रहा है।


बीजेपी के सहयोगी दलों ने उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुनने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर छोड़ दी है। यह स्पष्ट है कि अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री के हाथ में होगा, और वही नाम तय करेंगे जो इस पद के लिए आगे बढ़ेगा।


संभावित उम्मीदवारों की चर्चा

नामांकन की अंतिम तिथि के करीब आते ही पार्टी में कई नामों की चर्चा हो रही है। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर चौंकाने वाला निर्णय ले सकते हैं। उन्होंने कहा, "बीजेपी में कई बार ऐसे चेहरे सामने आते हैं जिनकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होती।" जब संभावित नामों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने संकेत दिया कि शेषाद्रि चारी एक गंभीर दावेदार हो सकते हैं।


शेषाद्रि चारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं और लंबे समय से पार्टी संगठन में सक्रिय रहे हैं। वे आरएसएस के अंग्रेज़ी पत्रिका 'ऑर्गेनाइज़र' के संपादक रह चुके हैं और वर्तमान में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। यदि उनका नाम आगे आता है, तो इससे पार्टी अध्यक्ष की नियुक्ति में शीर्ष नेतृत्व को अधिक लचीलापन मिल सकता है।


आचार्य देवव्रत का नाम भी चर्चा में

एक और नाम जो चर्चा में है, वह है गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए बीजेपी इस नाम को प्राथमिकता दे सकती है। देवव्रत हरियाणा के समालखा से हैं और जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी जुड़ा है। इसके अलावा, वे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं और शिक्षा व संस्कृति के क्षेत्र में उनका अनुभव भी है।


धनखड़ ने हाल ही में स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दिया था और तब से वे सार्वजनिक जीवन में कम सक्रिय हैं। ऐसे में पार्टी किसी ऐसे व्यक्ति को आगे लाना चाहती है जो संगठनात्मक रूप से मजबूत हो और संसद में कुशलता से कार्य कर सके।