उपराष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक हलचल तेज, एनडीए ने उम्मीदवार की घोषणा की

उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी
उपराष्ट्रपति चुनाव: देश में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। एनडीए ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। महाराष्ट्र के राज्यपाल और तमिलनाडु के अनुभवी नेता सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित किया गया है। इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से संपर्क कर अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए समर्थन मांगा है। दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक आज अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करने जा रहा है.
मतदान की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति का चुनाव सामान्य चुनावों से भिन्न होता है। यह एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली के तहत आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर होता है। इस प्रणाली में विजेता को एक निश्चित कोटा प्राप्त करना होता है, जो कुल वैध मतों को दो से विभाजित करके और उसमें एक जोड़कर निकाला जाता है। यदि पहले चरण में कोई उम्मीदवार इस कोटे को प्राप्त नहीं कर पाता, तो सबसे कम प्राथमिकता वाले मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। इसके बाद, उनके मतों को दूसरी प्राथमिकता के आधार पर पुनर्वितरित किया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार बहुमत प्राप्त नहीं कर लेता। मतदान गुप्त होता है और इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्य भाग लेते हैं.
चुनाव की गणित और सांसदों की स्थिति
चुनावी गणित और सांसदों की संख्या
आंकड़ों के अनुसार, उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 782 सांसद मतदान करने के लिए पात्र हैं। इनमें लोकसभा के 542 और राज्यसभा के 240 सांसद शामिल हैं। किसी उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम 392 मतों की आवश्यकता होगी। एनडीए के पास वर्तमान में 427 सांसदों का समर्थन है, जिसमें लोकसभा के 293 और राज्यसभा के 134 सांसद शामिल हैं। दूसरी ओर, विपक्षी इंडिया ब्लॉक के पास 355 सांसदों का समर्थन है, जिसमें लोकसभा के 249 और राज्यसभा के 106 सांसद शामिल हैं। हालांकि, 133 सांसदों का समर्थन अभी अनिर्णित है, जो इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
एनडीए की रणनीति और विपक्ष की चुनौतियाँ
एनडीए की रणनीति और विपक्ष की चुनौती
एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर एक रणनीतिक कदम उठाया है। तमिलनाडु से संबंधित राधाकृष्णन का चयन भाजपा की दक्षिण भारत में पैठ बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मल्लिकार्जुन खड़गे से बातचीत इस बात का संकेत है कि एनडीए विपक्षी दलों से भी समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, इंडिया ब्लॉक के सामने एकजुटता बनाए रखने और एक मजबूत उम्मीदवार उतारने की चुनौती है। विपक्षी गठबंधन में शामिल कुछ दलों के बीच मतभेद और हाल ही में आम आदमी पार्टी (आप) के बाहर होने से उनकी स्थिति कमजोर हुई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इंडिया ब्लॉक किस उम्मीदवार को मैदान में उतारता है और क्या वह एनडीए को कड़ी टक्कर दे पाएगा.