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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: राजनीतिक हलचल और अटकलें

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस ने इस इस्तीफे को लेकर कई सवाल उठाए हैं, जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह के कार्यालय में भी हलचल देखी गई। जानें इस इस्तीफे के पीछे की सच्चाई और राजनीतिक गतिविधियों के बारे में।
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: राजनीतिक हलचल और अटकलें

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस ने कहा है कि जो कुछ भी सामने आ रहा है, वह उससे कहीं अधिक जटिल है। उनके अचानक इस्तीफे ने विपक्षी दलों में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बताया कि उन्होंने शाम 7:30 बजे धनखड़ से फोन पर बात की।

धनखड़ उस समय अपने परिवार के साथ थे और उन्होंने कहा कि वह अगले दिन उनसे बात करेंगे। इससे पहले, जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी और अखिलेश प्रसाद सिंह ने धनखड़ से मुलाकात की थी। जयराम ने कहा कि सब कुछ सामान्य लग रहा था, क्योंकि धनखड़ ने बताया कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक मंगलवार सुबह 10 बजे होगी।


राजनाथ सिंह के कार्यालय में हलचल

राजनाथ सिंह के ऑफिस में क्या-क्या हुआ?

धनखड़ के इस्तीफे से पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय में काफी हलचल देखी गई। सूत्रों के अनुसार, एक भाजपा सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनसे एक सफेद पत्र पर हस्ताक्षर करवाए गए थे। कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने इस पर संदेह जताया और कहा कि उन्होंने धनखड़ से मुलाकात की थी और शाम करीब 6 बजे वे सबसे आखिर में निकले। उनका स्वास्थ्य ठीक था और उन्होंने इस्तीफा देने का कोई संकेत नहीं दिया था। इसके विपरीत, राज्यसभा के सभापति ने भी बताया कि उन्हें एक समिति में शामिल किया जाना है, जिसके बारे में वे बाद में जानकारी देंगे।


राजनीतिक तूफान की आहट

क्या है अंदर की बात?

सामान्य दिखने वाली राजनीतिक गतिविधियों के पीछे एक बड़ा राजनीतिक तूफान आकार ले रहा था। सोमवार को सभापति जगदीप धनखड़ ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए विपक्षी सदस्यों के नोटिस को स्वीकार कर लिया। यह लगभग उसी समय हुआ जब खबर आई कि निचले सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के 100 से अधिक सांसदों ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं।