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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: विवादों की कहानी

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके तीन साल के कार्यकाल में कई विवादास्पद बयान और राजनीतिक टकराव रहे हैं। जानें उनके कार्यकाल की प्रमुख घटनाएं और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे, जैसे महिलाओं और किसानों की आवाज़। इस लेख में धनखड़ के कार्यकाल की पूरी कहानी का विवरण दिया गया है।
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: विवादों की कहानी

उपराष्ट्रपति का इस्तीफा

उपराष्ट्रपति का इस्तीफा: संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के पहले दिन, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया।


धनखड़ का कार्यकाल

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उनके तीन साल के कार्यकाल में कई ऐसे क्षण आए जब वे अपने तीखे बयानों और स्पष्ट विचारों के कारण चर्चा में रहे। धनखड़ का कार्यकाल विवादों, स्पष्टता और सख्त रुख से भरा रहा। उन्होंने 6 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर 11 अगस्त 2022 को शपथ ली थी, जिसमें उन्हें 725 में से 528 वोट मिले थे।


तीखे बयानों की सूची


  • जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट के 'मूल संरचना सिद्धांत' पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि यदि संसद के कानूनों को अदालतें रोकती हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। विपक्ष ने इसे न्यायपालिका में हस्तक्षेप के रूप में देखा।

  • मार्च 2023 में उन्होंने छात्र राजनीति पर कहा कि कुछ विश्वविद्यालय देशविरोधी विचारधाराओं का केंद्र बन गए हैं। विपक्ष ने इसे संघी एजेंडे की भाषा बताया।

  • दिसंबर 2023 में विपक्ष ने उन पर आरोप लगाया कि वे अधिवेशन में विपक्षी सांसदों को रोकते हैं और भाजपा का पक्ष लेते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें भाजपा प्रवक्ता जैसा करार दिया।

  • मई 2024 में उन्होंने संसद का बहिष्कार करने वाले सांसदों को 'देशद्रोही' कहा, जिससे विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी।


जांच एजेंसियों का समर्थन


  • अक्टूबर 2024 में उन्होंने CBI और ED के समर्थन में बयान दिया, जिसे विपक्ष ने एजेंसियों के दुरुपयोग का समर्थन बताया।

  • राज्यसभा की कार्यवाही में पक्षपात के आरोप भी उन पर लगे। INDIA गठबंधन ने आरोप लगाया कि धनखड़ ने बीजेपी सदस्यों को प्राथमिकता दी।


राजनीतिक टकराव


  • 10 दिसंबर 2024 को विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ अनुच्छेद 67(ब) के तहत अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।

  • मार्च 2025 में उन्होंने कांग्रेस द्वारा अमित शाह के खिलाफ लाया गया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव खारिज कर दिया, जिससे विवाद बढ़ा।

  • अगस्त 2024 में जया बच्चन से हुई उनकी बहस भी चर्चित रही, जहां उन्होंने कहा कि 'आप सेलिब्रिटी हो सकते हैं लेकिन सदन की मर्यादा समझिए।'


महिलाओं और किसानों की आवाज

धनखड़ ने महिलाओं को प्रोत्साहित करते हुए 'ऑल-वुमन वाइस चेयरपर्सन पैनल' का गठन किया। किसानों की समस्याओं पर भी उन्होंने सरकार की आलोचना की और कहा कि 'अगर वादा किया गया है, तो उसे पूरा भी करना होगा।'


विदेश नीति पर रुख

मई 2025 में अमेरिका के उस दावे को खारिज किया जिसमें कहा गया कि ट्रंप ने भारत-पाक संघर्षविराम कराया। उन्होंने भारत की संप्रभुता का जोरदार समर्थन किया।