उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का नया उम्मीदवार: बीजेपी की रणनीति

उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर चर्चा
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार: एनडीए सरकार के उपराष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। बीजेपी इस बार विशेष सावधानी बरतते हुए पिछले अनुभवों से सीख लेने की कोशिश कर रही है। इस बार संघ, यानी RSS से जुड़े व्यक्ति को प्राथमिकता देने की संभावना है, और उम्मीदवार के चयन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राय को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पार्टी की रणनीति
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी नेतृत्व इस बार कोई ऐसा प्रयोग नहीं करना चाहता जिससे भविष्य में पार्टी या सरकार को कठिनाइयों का सामना करना पड़े। उन्होंने कहा कि जब जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था, तब भी विचार परिवार में इस पर चर्चा हुई थी, क्योंकि धनखड़ की राजनीतिक पृष्ठभूमि बीजेपी की विचारधारा से मेल नहीं खाती थी।
धनखड़ का राजनीतिक सफर
धनखड़ के राजनीतिक करियर की शुरुआत
धनखड़ ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत जनता दल से की और बाद में कांग्रेस में शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील रह चुके धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया, जहां ममता बनर्जी के साथ उनके कई टकराव हुए। उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने न्यायपालिका पर कई बार तीखी टिप्पणियां कीं, जिससे सरकार को कई बार असहज स्थिति का सामना करना पड़ा।
उम्मीदवार की खोज
उम्मीदवार की तलाश जारी
बीजेपी इस बार एक ऐसा चेहरा लाना चाहती है जो पार्टी की विचारधारा से गहराई से जुड़ा हो, राज्यसभा संचालन में दक्ष हो और अनावश्यक विवादों से बचे। एक नेता के अनुसार, ऐसे उम्मीदवार की तलाश की जा रही है जो पार्टी के अंदर से आया हो और विपक्ष के लिए भी विरोध करना आसान न हो।
संघ की भूमिका
संघ को प्रक्रिया में शामिल करने की संभावना
सूत्रों के अनुसार, इस बार संघ को पूरी प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। भले ही संघ दिन-प्रतिदिन की राजनीति में दखल न देता हो, लेकिन संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों के लिए उसकी राय ली जाती है। संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि जब सरकार राय मांगती है, तो संघ अपनी राय जरूर देता है।
सहयोगी दलों की राय
अन्य सहयोगी दलों की राय
इसके साथ ही एनडीए के अन्य सहयोगी दलों की राय भी ली जाएगी। उम्मीदवार तय करने से पहले एक साझा बैठक की योजना है जिसमें सभी सहयोगी दलों के विचार आमंत्रित किए जाएंगे। हालांकि, पार्टी के भीतर यह मान्यता बन रही है कि इस बार किसी अनुभवी, विचारधारा-निष्ठ पार्टी कार्यकर्ता को उपराष्ट्रपति पद का चेहरा बनाया जा सकता है।