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उपराष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ ठाकुर का नाम चर्चा में

जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद, रामनाथ ठाकुर का नाम इस पद के लिए चर्चा में है। उनकी राजनीतिक विरासत और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ हालिया मुलाकात ने उनकी संभावनाओं को और बढ़ा दिया है। क्या एनडीए ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाएगा? जानें इस महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में।
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उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनावी प्रक्रिया में तेजी

जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद, देश के दूसरे सबसे उच्च संवैधानिक पद के लिए चुनावी प्रक्रिया में तेजी आई है। चुनाव आयोग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन सत्ताधारी एनडीए अभी तक अपने उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं कर पाया है। इस बीच, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और जदयू नेता रामनाथ ठाकुर के बीच हुई एक मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चाएँ शुरू कर दी हैं।


रामनाथ ठाकुर, जो जदयू के वरिष्ठ नेता हैं, एक महत्वपूर्ण राजनीतिक विरासत के प्रतिनिधि भी हैं। वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के पुत्र हैं, जिन्हें सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। ठाकुर ने 2005 में बिहार की राजनीति में गन्ना मंत्री के रूप में कदम रखा और 2010 तक कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया। वर्तमान में, वे राज्यसभा सांसद और केंद्र सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री हैं।


बिहार की सामाजिक संरचना और आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए, रामनाथ ठाकुर का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त माना जा रहा है। वे अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) से आते हैं, जो बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि एनडीए उन्हें अपना उम्मीदवार बनाता है, तो यह सामाजिक संतुलन साधने का प्रयास होगा और जदयू-भाजपा गठबंधन को भी मजबूत करेगा। ठाकुर की छवि एक सादगीपूर्ण और सामाजिक न्याय समर्थक नेता की है, जो विपक्ष के लिए चुनौतीपूर्ण विकल्प बन सकती है।


हाल ही में जेपी नड्डा और रामनाथ ठाकुर के बीच हुई बैठक को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। भाजपा के कुछ सूत्रों ने इसे बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण से जुड़ी सामान्य बैठक बताया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे साधारण भेंट नहीं मानते। यह संभव है कि पार्टी नेतृत्व उपराष्ट्रपति पद के लिए ठाकुर की संभावनाओं पर फीडबैक जुटा रहा हो।


एनडीए की चुप्पी यह दर्शाती है कि पार्टी अपने हर कदम को सोच-समझकर उठा रही है। विपक्ष की नजरें इस बात पर हैं कि क्या एनडीए कोई ऐसा चेहरा सामने लाएगा जो सामाजिक समीकरणों के साथ-साथ राजनीतिक संतुलन भी साध सके। ठाकुर का नाम इस दृष्टि से कई मानकों पर खरा उतरता दिखता है।