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उमर अब्दुल्ला का बीजेपी से इस्तीफे का बयान, राज्य का दर्जा पाने की प्राथमिकता

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी के साथ सरकार बनाने से इनकार करते हुए कहा कि वह इस्तीफा देना पसंद करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य का दर्जा दिलाने के लिए वह किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। उमर ने बीजेपी की दोहरी बातों पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि पार्टी सार्वजनिक रूप से एक बात कहती है और बंद कमरों में कुछ और। जानें इस महत्वपूर्ण राजनीतिक बयान के पीछे की पूरी कहानी।
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उमर अब्दुल्ला का बीजेपी से इस्तीफे का बयान, राज्य का दर्जा पाने की प्राथमिकता

उमर अब्दुल्ला का स्पष्ट संदेश

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया है कि वह बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बजाय इस्तीफा देना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि वह राज्य का दर्जा दिलाने के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। यह बयान उन्होंने दक्षिण कश्मीर में एक सार्वजनिक रैली में अपने पार्टी विधायकों को संबोधित करते हुए दिया। उमर ने कहा कि यदि बीजेपी को सरकार में शामिल किया जाता, तो संभवतः हमें तुरंत राज्य का दर्जा मिल जाता।


उमर अब्दुल्ला ने विधायकों से सवाल करते हुए कहा कि क्या वे इस समझौते के लिए तैयार हैं? उन्होंने कहा, 'मैं नहीं हूं। यदि राज्य का दर्जा पाने के लिए बीजेपी को सरकार में शामिल करना आवश्यक है, तो कृपया मेरा इस्तीफा स्वीकार करें।' उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी अन्य विधायक को मुख्यमंत्री बनाया जाए और बीजेपी के साथ सरकार बनाई जाए, तो वह इसके लिए तैयार नहीं हैं। अगर उन्हें जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में देखने के लिए इंतजार करना पड़े, तो वह इंतजार करेंगे।


बीजेपी की दोहरी बातें


उमर अब्दुल्ला ने बताया कि पार्टी की चुनावी जीत के दौरान उनके पास दो विकल्प थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी परिस्थितियों को बहाना नहीं बनाया, लेकिन चुनाव के बाद उनके सामने दो रास्ते थे। एक विकल्प था बीजेपी के साथ सरकार बनाना, जैसा कि 2015 में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने किया था। उन्होंने कहा कि बीजेपी को सरकार से बाहर रखा जा सकता था, लेकिन यह बहाना बनाया गया कि जम्मू को प्रतिनिधित्व देने के लिए बीजेपी को शामिल किया गया।


उमर ने कहा कि बीजेपी सार्वजनिक रूप से कुछ और और बंद कमरों में कुछ और कहती है। उन्होंने कहा कि बीजेपी कैमरों के सामने अधिकारियों की प्रशंसा करती है, जबकि बंद कमरों में उनकी आलोचना करती है। यह दोहरी बात जनता को धोखा देने के समान है।