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उमर अब्दुल्ला की राजनीतिक चुनौतियाँ: जम्मू कश्मीर में संतुलन बनाने की कोशिश

उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर की राजनीति में संतुलन बनाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी में असंतोष बढ़ रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसदों ने उनके कई निर्णयों पर सवाल उठाए हैं, जिसमें जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग छोड़ने का आरोप शामिल है। क्या यह स्थिति उनकी पार्टी के लिए चुनौती बन सकती है? जानें इस लेख में।
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उमर अब्दुल्ला की राजनीतिक चुनौतियाँ: जम्मू कश्मीर में संतुलन बनाने की कोशिश

उमर अब्दुल्ला का राजनीतिक परिदृश्य

जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला प्रदेश की राजनीति और राष्ट्रीय परिस्थितियों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें यह भली-भांति ज्ञात है कि वे चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन वास्तविक शक्ति अब भी उप राज्यपाल और केंद्र सरकार के हाथों में है। इसीलिए, वे सीमित अवसरों में केंद्र सरकार के साथ सहयोग स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, केंद्र सरकार के साथ उनके इस सहयोग का प्रयास प्रदेश की राजनीतिक वास्तविकता के अनुरूप नहीं बैठ रहा है, जिससे उनकी पार्टी में असंतोष उत्पन्न हो रहा है। उनके पार्टी के नेता अब उनके कार्यों और नीतियों पर सवाल उठाने लगे हैं।


नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसदों की प्रतिक्रिया

श्रीनगर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा रोहिल्ला खान ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कई निर्णयों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यह आरोप लगाया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को छोड़ दिया है। इसके साथ ही, अनुच्छेद 370 की बहाली का मुद्दा उठाने में भी उन्होंने चुप्पी साधी है। ऐसा प्रतीत होता है कि वे कश्मीर घाटी के कट्टरपंथी मुस्लिम मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए ऐसे बयान दे रहे हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि जम्मू कश्मीर में कट्टरपंथी ताकतें अब भी सक्रिय हैं, जैसा कि इंजीनियर राशिद के लोकसभा चुनाव जीतने से स्पष्ट होता है। हालांकि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में सफल नहीं हो पाई, लेकिन यदि उमर के बारे में यह धारणा बनती है कि वे केंद्र सरकार और भाजपा के करीब हो गए हैं, तो आने वाले समय में पीडीपी या अन्य कट्टरपंथी दलों को लाभ मिल सकता है।